स्कूली बच्चों और उनके अभिभावकों को उचित और प्रतिस्पर्धी दरों पर किताबें, कापियां यूनिफार्म तथा अन्य शैक्षणिक सामग्री उपलब्ध कराने जिला प्रशासन द्वारा 10 से 14 अप्रैल तक बुक फेयर का आयोजन किया जायेगा।
बुक फेयर गोलबाजार स्थित शहीद स्मारक प्रांगण में लगाया जायेगा। नो प्रॉफिट-नो लॉस पर आधारित इस बुक फेयर में नर्सरी से लेकर 12 वीं कक्षा तक की कॉपी किताबों के स्टॉल के साथ-साथ यूनिफार्म, स्कूल बैग, जूते, टाई और अन्य शैक्षणिक सामग्रियों के अलग-अलग स्टॉल भी लगाये जायेंगे। बुक फेयर में बुक बैंक का अलग से एक स्टॉल होगा। इस स्टॉल पर पिछली कक्षाओं की किताबें स्कूली बच्चों द्वारा दी जा सकेंगी ताकि दूसरे बच्चे इनका उपयोग कर सकेंगे।
बुक फेयर में प्रतिदिन शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। इसे मतदाता जागरूकता अभियान से भी जोड़ा जायेगा और स्वीप की गतिविधियां होंगी। बच्चों के लिये खान-पान के स्टॉल मनोरंजन एवं खेलकूद के साधन भी मेले में उपलब्ध कराये जायेंगे। बुक फेयर की तैयारियों को लेकर आज अपर कलेक्टर श्रीमती मिशा सिंह की अध्यक्षता में बुक सेलर्स की बैठक कलेक्टर कार्यालय के सभाकक्ष में आयोजित की गई तथा उनसे इसे बेहतर स्वरूप प्रदान करने और अभिभावकों को प्रतिस्पर्धी और न्यूनतम दर पर कॉपी-किताबें, यूनिफार्म एवं अन्य सामग्री उपलब्ध कराने के संबंध में सुझाव लिये गये।
अपर कलेक्टर श्रीमती मिशा सिंह ने बैठक में बुक फेयर के आयोजन में सभी बुक सेलर्स से सहयोग का आग्रह करते हुये कहा कि कतिपय निजी स्कूलों की मनमानी से अभिभावकों को राहत दिलाने और उनपर पड़ने वाले आर्थिक बोझ को कम करने प्रशासन की इस पहल में सभी की सहभागिता जरूरी है। उन्होंने कहा कि प्रशासन ऐसे स्कूलों पर प्रकरण दर्ज कर कार्यवाही कर रहा है जिनके विरूद्ध किसी खास दुकान या पब्लिशर्स की किताबें खरीदने बच्चों को बाध्य करने की शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। इस बारे में शासन का रूख भी बेहद सख्त है।
अपर कलेक्टर ने बैठक में कहा कि बुक फेयर में कॉपी-किताबों, यूनिफार्म, बैग, जूते, टाई आदि के अलग- अलग स्टॉल लगाने के साथ-साथ खान-पान और बच्चों के मनोरंजन के लिये भी अलग से स्टॉल लगाये जायेंगे। बुक फेयर शाम के समय लगाया जायेगा ताकि बच्चे परिवार के साथ आयें और उन्हें एक अच्छा वातावरण मिले। श्रीमती सिंह ने कहा कि हो सकता है इस बार बुक फेयर के आयोजन में आंशिक सफलता ही मिले। लेकिन एक अच्छे इरादों के साथ शुरू की गई इस पहल का लोगों में अच्छा संदेश जायेगा। अगले शैक्षणिक सत्र में बुक फेयर का आयोजन काफी पहले और वृहद स्वरूप में किया जायेगा तथा इस बार जो कमियां परिलक्षित होंगी उन्हें दूर किया जायेगा। कोशिश यह होगी कि एक ही स्थान पर सभी निजी स्कूलों की कॉपी-किताबें, यूनिफार्म एवं अन्य सभी सामग्री बच्चों को न्यूनतम और प्रतिस्पर्धी दर पर प्राप्त हो जायें।
अपर कलेक्टर ने बैठक में मौजूद बुक सेलर्स से बुक फेयर के आयोजन को लेकर सुझाव भी लिये। बुक सेलर्स ने अगले शैक्षणिक सत्र से बुक फेयर के आयोजन को पहले आयोजित करने की राय रखी। बुक सेलर्स ने सुझाव दिया कि निजी स्कूलों और पब्लिशर्स के बीच की साठगांठ को तोड़ने निजी स्कूलों से किताबों की सूची जनवरी माह में ले ली जानी चाहिए। शैक्षणिक सत्र शुरू होने के तीन माह पहले ही निजी स्कूलों द्वारा किताबों की कक्षा सूची जारी कर देने से कुछ खास दुकानदारों के अलावा दूसरे किताब विक्रेता भी पब्लिशर्स से संपर्क कर उन किताबों को मंगा सकेंगे। कुछ बुक सेलर्स ने तो बैठक में बताया कि कतिपय स्कूलों और पब्लिशर्स के बीच साठगांठ के कारण 20 रूपये की कीमत वाली किताबों में 100 रूपये प्रिंट रेट डालकर अभिभावकों को खरीदने बाध्य किया जाता है। ऐसी किताबों में 40 से लेकर 80 फीसदी तक प्रॉफिट मार्जिन होता है। इसमें बड़ा हिस्सा सीधे निजी स्कूलों के प्रबंधन तक पहुंचता है। अनुचित लाभ कमाने के इस खेल में कई बड़े बुक सेलर प्रकाशक तक बन चुके हैं।
बैठक में बुक सेलर्स ने स्कूली बच्चों के अभिभावकों को आर्थिक बोझ से राहत दिलाने बुक फेयर के आयोजन की प्रशासन की पहल की सराहना की तथा इसे सफल बनाने में उनकी ओर से सहयोग का आश्वासन दिया। बुक सेलर्स ने कहा कि प्रशासन की इस पहल से लोगों में बुक सेलर्स की अच्छी छवि बनाने में मदद मिलेगी। बैठक में जबलपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष हिमांशु खरे, जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी, डीपीसी योगेश शर्मा, जबलपुर पुरातत्व, संस्कृति एवं पर्यटन परिषद के सीईओ हेमंत सिंह, सहायक संचालक पिछड़ा वर्ग कल्याण अशीष दीक्षित भी मौजूद थे।