बिजली कंपनी प्रबंधन फ्रंटलाइन कर्मचारियों का शोषण किस तरह करता है, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी है, जहां अधिकारियों ने लाइन कर्मियों से कोराेना काल में बिना अवकाश दिए ओवरटाइम एवं डबल शिफ्ट में कराई गई ड्यूटी का भुगतान आज तक नहीं किया। इस संबंध में जब मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ ने प्रबंधन को पत्र लिखा तो कंपनी के मानव संसाधन एवं प्रशासन विभाग ने वार्ता हेतु आमंत्रित किया।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि लाइन कर्मियों की लंबित समस्याओं के संबंध में एमपी ट्रांसको कंपनी के मानव संसाधन एवं प्रशासन विभाग के सीजीएम ने विगत दिवस संघ प्रतिनिधियों को वार्ता हेतु आमंत्रित किया था। इस वार्ता का प्रमुख मुद्दा कोविड वैश्विक महामारी के समय लाइन कर्मियों की ड्यूटी था, जिसमे बताया गया कि कोराेना काल के दौरान नियमित, संविदा एवं आउटसोर्स कर्मियों की बिना अवकाश 400 केवी, 200 केवी तथा 132 केवी सब-स्टेशन में ड्यूटी लगाई गई थी।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि कोराेना काल दौरान अधिकारी जहां घरों में सुरक्षित रहते हुए फोन पर कर्मचारियों को निर्देशित करते थे, वहीं नियमित, संविदा एवं आउटसोर्स लाइन कर्मी जान जोखिम में डालकर फील्ड पर ड्यूटी कर रहे थे। यहां तक कि कंपनी प्रबंधन ने लाइन कर्मियों का हर अवकाश रद्द कर दिया था और बिना अवकाश डबल शिफ्ट में उनकी ड्यूटी लाइन मेंटेनेंस आदि कार्यों में लगाई गई थी। लेकिन जान जोखिम में डालकर ड्यूटी करने वाले इन कोराेना वारियर्स को आज तक ओवरटाइम और राष्ट्रीय अवकाश पर ड्यूटी करने पर आज तक भुगतान नहीं किया गया। संघ ने कहा कि ओवरटाइम और बिना अवकाश लगातार ड्यूटी करने वाले लाइन कर्मियों को दोगुनी दर से भुगतान किए जाने का प्रावधान है, इस पर ट्रांसको के अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही इसका भुगतान कर दिया जाएगा।
इसके अलावा ट्रांसको में उच्च वेतनमान प्राप्त तकनीकी कर्मचारियों को ओवरटाइम करने एवं राष्ट्रीय त्यौहार के दिन ड्यूटी करने पर पुराने वेतनमान के अनुसार भुगतान लिए जाने का प्रावधान है, जबकि एमपी जेनको एवं तीनों विद्युत वितरण कंपनियों में सातवें वेतनमान के अनुसार भुगतान किया जा रहा है, संघ पदाधिकारियों ने ये मुद्दा भी अधिकारियों के समक्ष रखा।
वार्ता के दौरान कंपनी अधिकारियों ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति नियमानुसार दी जा रही है, 15 अक्टूबर 2000 से 10 अप्रैल 2012 के मध्य केवल दुर्घटना मृत्यु के प्रकरणों का नियम अनुसार निराकरण किया जा रहा है। अन्य मामलों पर कोई विचार नहीं किया जा रहा, लेकिन शासन स्तर पर जानकारी भेजी जा चुकी है। ट्रांसमिशन कंपनी में मैनपावर की अत्यधिक कमी हो चुकी है, इसकी जानकारी भी शासन स्तर पर कंपनी प्रबंधन के द्वारा दी जा चुकी है। वहीं कंपनी अधिकारियों ने बताया कि तकनीकी कर्मचारियों को 600 डिस्चार्ज रॉड एवं सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं।
वार्ता के दौरान ट्रांसमिशन कंपनी की ओर से सीजीएम-एचआर अतुल जोशी, अतिरिक्त मुख्य अभियंता धीरेंद्र सिंह, मुख्य अभियंता एसके गायकवाड, मुख्य अभियंता एससी घोष, मुख्य अभियंता प्रवीण गार्गव, मुख्य वित्तीय अधिकारी मुकुंद मल्होत्रा, कल्याण अधिकारी अमित मेहरौलिया, अधीक्षण अभियंता राजेश दीक्षित, अधीक्षण अभियंता आरके शर्मा एवं संघ की ओर से शंभूनाथ सिंह, केएन लोखंडे, अजय सिंह तोमर, संतोष शर्मा, विष्णु सिंह तोमर, रामराज गोयल, मिर्जा असलम, अजय कश्यप, राजकुमार सैनी, मोहन दुबे, प्रदीप द्विवेदी आदि उपस्थित रहे।