मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग द्वारा बीच शिक्षा सत्र में पहले थोक के भाव स्वैच्छिक स्थानांतरण कर ग्रामीण क्षेत्र की एक शिक्षकीय शालाओं को शिक्षक विहीन कर शिक्षकों को नगर की मनचाही शालाओं में पदस्थ कर दिया गया, अब उन्हें पुनः अतिशेष के नाम पर ऐन परीक्षा के मौके पर अतिशेष का भय दिखाया जा रहा है।
मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा ऑनलाइन तथा ऑफलाइन ट्रांसफर प्रकिया के माध्यम से शिक्षकों के सुविधाजनक विद्यालयों में बिना रिक्त पद के शिक्षकों की पदस्थापना की गई तथा संकुल प्राचार्यो पर भोपाल तथा जिला शिक्षा अधिकारी जबलपुर द्वारा अनावश्यक दबाव बनाकर उन स्थानांतरित शिक्षकों को जवाईनिंग दिला दी गई। अब जब दर्ज संख्या के मान से विद्यालयों में शिक्षक संख्या अधिक हो गई तो, पुनः विभाग द्वारा फरमान जारी कर अतिशेष के नाम पर जबरन शिक्षकों को परेशान किया जा रहा है।
प्रतिवर्ष एक शिक्षकीय तथा शिक्षक विहिन शालाओं का निर्माण शिक्षा विभाग की गलत स्थानांतरण उद्योग के कारण होता है फिर ऐसी शालाओं में शिक्षकों की पूर्ति के लिए पूरे शिक्षकीय अमले को पढ़ाई छोड़ मानसिक रूप से परेशान कर वसूली का अभियान प्रारंभ कर दिया जाता है। शिक्षा विभाग की इस अंधरगर्दी, तानाशाही के चलते शिक्षकों में भारी आक्रोश व्याप्त है।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, मुकेश सिंह, मंसूर बेग, संजय उपाध्याय, आलोक अग्निहोत्री, दुर्गेश पाण्डे, बृजेश मिश्रा, नीरज मिश्रा, वीरेन्द्र चन्देल, एसपी वाथरे, चूरामन गुर्जर, वीरेन्द्र तिवारी, धनश्याम पटैल, रमेश उपाध्याय, प्रशांत श्रीवास्तव, साहिल सिद्दीकी, गोविन्द विलथेर, रजनीश तिवारी, डीडी गुप्ता आदि ने प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं स्कूल शिक्षा मंत्री को ईमेल भेजकर मांग की है कि अतिशेष प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए अतिशेष के लिए दोषी जिला शिक्षा अधिकारी एवं आयुक्त लोक शिक्षण पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए।