मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया की जिला अधिकारी जबलपुर के पद पर सहायक संचालक स्तर के कनिष्ठ अधिकारी पदस्थ हैं। जबलपुर जिले में पूर्णकालिक उपसंचालक संचालक स्तर का अधिकारी पदस्थ न होने के कारण जबलपुर जिले में समकक्ष अथवा सहायक संचालक स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों को प्रशासनिक निर्देशों/आदेशों का पालन नहीं करा पाते है, जिससे जबलपुर में शैक्षणिक, प्रशासनिक गतिविधियां एवं अन्य गतिविधियों में जबलपुर प्रदेश के अन्य जिलों के मुकाबले पिछड़ा हुआ है।
जबलपुर के प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी के ढाई वर्षों के काले कार्यकाल में भ्रष्टाचार के नित नये आयाम कायम किये गये, शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धज्जियां उडाते हुए पोर्टल को अपडेट न करते हुए स्थानांतरण उद्योग के नाम पर ग्रामीण क्षेत्र शालाओं को शिक्षकविहीन करते हुए शहरी क्षेत्र की शालाओं छात्रों की संख्या के अनुपात में अधिक शिक्षक पदस्थ कराकर पद रिक्त न होते हुए भी प्राचार्यो को कार्यभार ग्रहण कराने, कार्यमुक्त करने के लिए अनावश्यक दबाब बनाया गया, इनके द्वारा अपने नियंत्रण के बाहर के जिले सतना में आपसी स्थानांतरण कर दिया गया।
इसके अलावा इनके द्वारा संचालनालय स्तर से लिपिक का स्थानांतरण होने के बाद भी हटधर्मिता करते हुए कार्यमुक्त नहीं किया जा रहा है, नियम विरूद्ध अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान कर अनावश्यक न्यायालयीन प्रकरण उदभूत किये गये, कार्यालय में अपने चहेते शिक्षकों को शालाओं से संलग्न कर उनसे दलाली कराई जा रही है, प्रभारी डीईओ के दलाल शिक्षक विद्यालय में पढाई छोड़कर कार्यालय के चक्कर लगाते रहते हैं। प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी जबलपुर लचर कार्य व्यवस्था से शिक्षा विभाग अंधकारमय जा रहा है।
संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, आलोक अग्निहोत्री, दुर्गेश पाण्डे, बृजेश मिश्रा, मनोज सिंह, वीरेन्द्र चन्देल, एसपी बाथरे, चूरामन गुर्जर, वीरेन्द्र तिवारी, धनश्याम पटैल, विवेक तिवारी, साहिल सिद्दीकी आदि ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग की है कि प्रभारी प्रथा समाप्त कर जबलपुर जिले में पूर्णकालिक जिला शिक्षा अधिकारी की पदस्थापना की जाए।