मप्र अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चे में शामिल मान्यता एवं गैर मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठन प्रदेश के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की लंबित मांगों को लेकर चरणबद्ध आन्दोलन करेंगे। भोपाल में आज हुई बैठक के निर्णय की जानकारी प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र सिंह, महेंद्र शर्मा, भुवनेश पटेल, जीपी दिवेदी, ओपी कट्यार, एलएन कैलासिया, अटल उपाध्याय, संजय गुजराल ने दी। उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में 11 जुलाई 2023 दिन मंगलवार को सभी जिलों में रैली निकाल कर कलेक्टरों के माध्यम से मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव के नाम का ज्ञापन सौंपा जायेगा, इसके साथ ही 11 अगस्त 2023 दिन शुक्रवार को प्रदेश के सभी कार्यालयों के अधिकारी-कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर रहेंगे। 10 सितंबर 2023 दिन रविवार को भोपाल में प्रदेशव्यापी धरना दिया जायेगा और यदि मांगें नहीं मानी गई तो अनिश्चितकालीन आंदोलन किया जायेगा।
पदाधिकारियों ने सरकार पर अधिकारियों, कर्मचारियों एवं पेंशनरों की लंबित मांगों के प्रति उदासीनता का आरोप लगाते हुये कहा है कि मप्र सरकार अधिकारियों, कर्मचारियों एवं पेंशनरों को मंहगाई भत्ता नहीं दे रही है। डीए में अधिकारियों, कर्मचारियों एवं पेंशनर क्रमश: 4 एवं 9 प्रतिशत पीछे हो गये हैं। देय तिथि से एरियर का भुगतान नहीं किया गया। 2016 से रुकी हुई पदोन्नति देने में प्रदेश सरकार कोई रूचि नहीं ले रही है, जिसके कारण हजारों अधिकारी एवं कर्मचारी पदोन्नति की बाट देखते-देखते सेवानिवृत्त होते जा रहे हैं। मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना को लागू नहीं किया जा रहा है, आवास भत्ते की दरों को नहीं बढ़ाया जा रहा है, अनेक संवर्गों में वेतन विसंगति व्याप्त है। लिपिकों की वेतन विसंगतियां दूर नहीं की जा रही है। एनपीएस को समाप्त कर पुरानी पेंशन बहाल नहीं की जा रही है। ग्रेड पे की विसंगति का निराकरण नहीं किया जा रहा है। अध्यापकों को नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता नहीं दी जा रही है।
इसके अलावा निगम मंडलों में छठवां एवं पंचायत सचिवों को सातवां वेतनमान अभी तक नहीं दिया गया है। अनुकम्पा नियुक्ति में सरलीकरण नहीं किये जाने के कारण हजारो आश्रित परिवार कार्यालयों के चक्कर लगाते भटक रहे हैं। नियमित शिक्षको का पदनाम परिवर्तन नहीं हो पाया है। दैनिक वेतन भोगी, संविदा कर्मचारी, स्थाई कर्मी, कोटवार, आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को नियमित नहीं किया जा रहा है। आशा एवं उषा कार्यकर्ता, जन स्वास्थ्य रक्षक की मांगों का निराकरण नहीं किया जा रहा है, उपरोक्त मांगो के समर्थन में मप्र अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चे में सम्मिलित लगभग चार दर्जन से अधिक मान्यता एवं गैर मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठन पूरे प्रदेश में मांगों का ज्ञापन सौंपेंगे।