मध्य प्रदेश के नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री हरदीप सिंह डंग ने उद्योगपतियों को प्रदेश की नवकरणीय परियोजनाओं में निवेश करने का आमंत्रण देते हुए कहा कि उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आने देंगे। प्रधानमंत्री के नवकरणीय ऊर्जा के 500 गीगावाट के लक्ष्य की 50 प्रतिशत आपूर्ति की तैयारी मध्यप्रदेश कर रहा है। ऊर्जा भण्डारण परियोजनाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
मध्यप्रदेश के ओंकारेश्वर में 600 मेगावाट की फ्लोटिंग सोलर परियोजना स्थापित की जा रही है। प्रदेश में 7 हजार 500 करोड़ रूपये की 3 अन्य फ्लोटिंग परियोजनाओं पर जल्द ही काम शुरू किया जायेगा। साठ हजार मेगावाट की सोलर, 15 हजार मेगावाट की पवन एवं अन्य नवकरणीय ऊर्जा आधारित परियोजना स्थापना की संभावना है। प्रदेश में अब तक 60 हजार मेगावाट से अधिक सोलर और लगभग 5 हजार मेगावाट की पवन ऊर्जा परियोजना क्रियान्वित और क्रियान्वयन स्तर पर है।
इनवेस्टर्स समिट में 128 औद्योगिक घरानों ने नवकरणीय ऊर्जा में निवेश के प्रस्ताव दिये हैं। यह जानकारी आज प्रमुख सचिव ऊर्जा एवं नवकरणीय ऊर्जा संजय दुबे की अध्यक्षता में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में नवकरणीय ऊर्जा पर हुए सत्र में दी गई। सेशन में संस्थापक और सीईओ ओटू पॉवर प्राइवेट लिमिटेड पराग शर्मा ने ‘‘मध्यप्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अवसर’’ पर प्रस्तुतिकरण दिया।
एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसीडेंट ग्रीनको ग्रुप प्रवीन मित्तर नंदा, अवाडा ग्रुप के अध्यक्ष विनीत मित्तल, एनटीपीसी के कार्यकारी निदेशक मोहित भार्गव, टाटा पावर रिन्यूएबल एनर्जी के सीईओ आशीष खन्ना, एसजेवीएन के सीएमडी नंदलाल शर्मा और आरईसी लिमिटेड के सीएमडी विवेक कुमार देवांगन ने नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में अवसर, कठिनाइयाँ, चुनौतियाँ और समाधान पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने अपनी परियोजनाओं की जानकारी दी। सत्र के बाद जिज्ञासाओं और शंकाओं का समाधान किया।
एमओयू पर हुआ हस्ताक्षर
ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री हरदीप सिंह डंग, ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष गिर्राज दण्डोतिया की उपस्थिति में 16 हजार करोड़ के एमओयू हस्ताक्षरित किये गये। इनमें से एक हजार करोड़ रूपये का एमओयू आरईसी एवं रम्स के मध्य और 15 हजार करोड़ का पीएमसीएल एवं आरईसी के मध्य हुआ।
निवेशकों ने मध्यप्रदेश में निवेश की जताई इच्छा
मध्यप्रदेश में पिछले साल के अंत में नवकरणीय ऊर्जा नीति, सुविधाएँ और निवेशक फ्रेण्डली वातावरण ने निवेशकों को राज्य की परियोजनाओं में निवेश करने के लिये प्रेरित किया है। सौर एवं पवन ऊर्जा के लिये सिंगल विंडो पॉलिसी बनाई गई है। प्रदेश जल्द ही ग्रीन अमोनिया और ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन करने वाला राज्य बनने जा रहा है। इसमें भी उद्योगपतियों ने निवेश की रूचि दिखाई। मध्यप्रदेश ऐसा अकेला राज्य है जहाँ पर निकट भविष्य में बड़े प्रोजेक्ट स्थापित होने वाले हैं। निर्माणाधीन प्रोजेक्ट से एक साल के भीतर बड़ा ग्रीन ऊर्जा उत्पादन शुरू होने वाला है।
नवकरणीय परियोजना अंतर्गत पंप हाइड्रो परियोजनाओं में सर्वाधिक 90 हजार करोड़ रूपये के निवेश की संभावना है। भण्डारण एवं पवन ऊर्जा के साथ छतरपुर में 950 मेगावाट सोलर एवं मुरैना में 1400 मेगावाट सोलर की परियोजनाएँ निवेशकों के लिए आकर्षण का केन्द्र हैं। किसानों के लिये आरंभ कुसुम परियोजनाओं में भी मध्यप्रदेश अग्रणी है।
मध्यप्रदेश में वर्ष 2027 तक नवकरणीय ऊर्जा उपकरणों को बढ़ावा देते हुए 20 हजार मेगावाट नवकरणीय ऊर्जा विकसित करने का लक्ष्य है। वर्ष 2025 तक 1400 मेगावाट का मुरैना और 950 मेगावाट का छतरपुर में हायब्रिड पार्क विथ एनर्जी स्टोरेज शुरू हो जायेगा। वहीं वर्ष 2023 सितंबर तक 600 मेगावाट की ओंकारेश्वर फ्लोटिंग परियोजना और 1500 मेगावाट की आगर-शाजापुर-नीमच परियोजना भी उत्पादन देने लगेगी।