ट्रांसको कर्मियों ने रिकॉर्ड समय में सुधार कार्य कर चक्रवात से क्षतिग्रस्त लाइन को पुनः कर दिया चालू

मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी के अभ‍ियंताओं व कार्मिकों ने अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई और संजय गांधी ताप विद्युत गृह बिरसिंगपुर से निकासी वाली 220 केवी अमरकंटक-पनागर ट्रांसमिशन लाइन के क्षतिग्रस्त टावरों और लाइनों का  सुधार कार्य मात्र 4 दिन से कम समय में पूर्ण कर के एक उल्लेखनीय कार्य करने में सफलता हासिल की है।  

चक्रवात-आंधी से गिरे थे दो टावर-

21 सितंबर को चक्रवात आंधी के कारण शहडोल जिले से गुजरने वाली इस लाइन के लोकेशन क्रमांक 84 और 85 के टावर धाराशायी हो गए थे। शहडोल जिले की बुढ़ार तहसील के खैरहा गांव के पास हुए क्षतिग्रस्त इन टावरों की लोकेशन मुख्य सड़क मार्ग से लगभग एक किलोमीटर अंदर थी, जहां सिर्फ पैदल मार्ग या बड़ी मुश्क‍िल व कठिनाई से ट्रैक्टर द्वारा ही पहुंचा जा सकता था।

21 सितंबर को फाल्ट लोकेशन की जानकारी मिलते ही मुख्य अभियंता अति उच्चदाब मेंटेनेंस आर. एस. बघेल के निर्देश पर सतना के कार्यपालन अभियंता अति उच्चदाब संधारण जय श्रीवास्तव और टीएलएम उपसंभाग शहडोल की टीमों ने स्थल पर पहुंच कर कार्य प्रारंभ कर दिया।

इस सुधार कार्य के लिए लगभग 4 टन वजनी टावर के पार्ट अगले दिन सीहोर वर्कशॉप से लाए गए, जिन्हें सुधार कार्य कर रहे तकनीकी कार्मिकों ने बारिश व कीचड़ की स्थिति में लगभग एक किलोमीटर पैदल व ट्रैक्टर के सहारे स्थल तक पहुंचाएं!

स्थल पर ही किया कैंप-

पूरी मेंटेनेंस टीम ने चार दिनों तक स्थल पर ही रहकर दिन-रात सुधार कार्य किया। रोशनी के लिए दो जनरेटर के साथ आस्का लैंप की व्यवस्था भी बनाई गई, ताकि रात में भी काम अनवरत चलता रहे। 

दो टावर के साथ लगभग 4 किलोमीटर लाइन सुधारी गई-

चक्रवात के कारण दो टावरों के क्षतिग्रस्त होने के अतिरिक्त लगभग चार किलोमीटर लाइन भी प्रभावित हुई, जिसे भी स्थल पर सुधार कर उन्हें उपयोग में लाया गया। सुधार कार्य कर इस महत्वपूर्ण लाइन को 25 सितंबर को शाम को चालू कर दिया गया।

 

इन्होंने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका-

टावर को खड़े करने व लाइन सुधार कार्य में पावर ट्रांसमिशन कंपनी के सहायक अभियंता सुनील भलावी, कनिष्ठ अभियंता आशीष शाह, लाइन स्टाफ गुफरान खान, बल सिंह, इफरान खान, पुष्पेंद्र सिंह, बाबूलाल, द्वारका प्रसाद, योगेंद्र सिंह, राजवेश पटेल के साथ  मेसर्स सिंह इंटरप्राइजेज के कर्मियों का विशेष योगदान रहा, जिन्होंने रात दिन मेहनत कर विषम परिस्थितियों में इस महत्वपूर्ण लाइन के सुधार कार्य को रिकॉर्ड समय में पूरा किया।