मध्यप्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने प्रदेश शासन पर कर्मचारियों के शोषण का आरोप लगाया है। उन्होंने आज एक माँग पत्र मुख्यमंत्री कार्यालय में देकर बताया कि दो मंत्री समूहों के द्वारा कर्मचारियों की पदोन्नति और समस्याओं पर सार्थक निर्णय नहीं लिया गया, जिससे प्रदेश के कर्मचारियों को आंदोलन के बाध्य होना पड़ रहा है। सरकार द्वारा अधिकारियों और कर्मचारियों को आंदोलन के लिए मजबूर किया जा रहा है। ज्ञापन के साथ ही आज से आंदोलन का बिगुल बज गया।
जबलपुर मोर्चा संरक्षक योगेन्द्र दुबे, जिलाध्यक्ष अटल उपाध्याय ने बताया की मध्यप्रदेश इकलौता राज्य बन गया है कि जहां पिछले 6 वर्षों से प्रदेश के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की पदोन्नति रुकी हुई है। आज चेतावनी देते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय में एक माँग पत्र देकर एनपीएस व्यवस्था बंद कर पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने, सशर्त पदोन्नतियां करने, शासकीय विभागों, निगम, मंडल इत्यादि में कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों को स्वास्थ बीमा योजना का लाभ मंत्री परिषद् के आदेश दिनांक 4/01/2020 के संदर्भ में देने की मांग की है।
इसके अलावा समस्त अधिकारियों-कर्मचारियों को गृह भाड़ा भत्ता व अन्य भत्ते सातवें वेतनमान के अनुसार केन्द्रीय कर्मचारियों के समान दिए जाने, लिपिक की वेतन विसंगति रमेश चन्द्र शर्मा आयोग की अनुशंसा के अनुसार दूर करने, लिपिक संवर्ग को मंत्रालय के समान समयमान वेतनमान दिए जाने, प्रदेश के विभिन्न संवर्गों की वेतन विसंगति का निराकरण करने, दैनिक वेतन भोगी, संविदा कर्मचारी, स्थाई कर्मी आउटसोर्सिंग कर्मचारियों का नियमितिकरण करने, अनुकंपा नियुक्ति के आदेश का सरलीकरण करने की मांग की गई है। अन्यथा संयुक्त मोर्चा एक बड़ा आंदोलन इस प्रदेश में करेगा, जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी मध्य प्रदेश सरकार की होगी।
मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा जबलपुर के जिलाध्यक्ष अटल उपाध्याय, विश्वदीप पटेरिया, नरेश शुक्ला, संतोष मिश्रा, यू एस करोसिया, प्रशांत सोंधिया, योगेश चौधरी, संजय गुजराल, रविकांत दहायत, राजेन्द्र तेकाम, अजय दुबे, एस के बांदिल, देव दोनेरिया, प्रदीप पटेल, धीरेन्द्र सिंह, योगेन्द्र मिश्रा, मुकेश मरकाम, नरेंद्र सेन, रजनीश पांडेय, मंसूर बेग, सहजाद सिंह द्विवेदी, आशुतोष तिवारी, डीके नेमा, आलोक अग्निहोत्री, दुर्गेश पांडेय, ब्रजेश मिश्रा, विनय नामदेव ने सरकार से प्रदेश के कर्मचारियों को केंद्रीय कर्मचारियों के समान महँगाई भत्ता, आवास, चिकित्सा और शहरी भत्ता के साथ लिपिकों की वेतन विसंगतियों के तत्काल निराकरण किये जाने के आदेश जारी करने की माँग की है।