मध्य प्रदेश यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्पलाइज एवं इंजीनियर ने आज 12 अक्टूबर को मध्य प्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के मुख्य महाप्रबंधक मानव संसाधन के साथ आयोजित मीटिंग में विद्युत संविदा नीति 2018 में संशोधन हेतु 19 बिंदुओं का प्रस्ताव सौंपा। यूनाइटेड फोरम के संयोजक व्हीकेएस परिहार ने बताया कि मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को सौंपे प्रस्ताव में मांग की गई है कि संविदा में कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने जिनके द्वारा 5 वर्ष या उससे अधिक की सेवा पूर्ण कर ली है एवं कार्य मुल्यांकन संतोषजनक है, उन्हें संगठनात्मक संरचना में रिक्त पदों पर प्रति वर्ष नियमित करने का प्रावधान किया जाये।
संविदा नीति में वर्णित बिंदु 6.1(अ) एवं (ब) जिसके अनुसार प्रत्येक 3 वर्ष के पश्चात विद्युत संविदा कर्मियों को 3 दिन का अंतराल देने के पक्षात पुनः अनुबंध के माध्यम से रखा जावे। विदयुत विभाग में कर्मचारियों की कमी के कारण उक्त तीन दिवस में भी विद्युत संविदा कर्मी दबाववश कार्य करने हेतु मजबूर होते हैं जिसमें किसी भी दुर्घटना की जवाबदारी उनकी स्वयं की होती है, कुछ क्षेत्रों में रिपोर्टिंग अधिकारी व्यक्तिगत कारणों से उक्त नियम की अवहेलना करते हुए तीन दिवस के स्थान पर 15 दिन भी कर्मचारी को लगातार परेशान करने के पश्चात नवीन अनुबंध करवाते हैं। यह देखा गया है कि पूर्व क्षे.वि.वि.क. में दो-दो, तीन-तीन माह के पश्चात भी आज भी अनुबंध के नवीनीकरण मुख्य महाप्रबंधक (मानव संसधान) के यहां लंबित है। यह भी देखा गया है कि बिना किसी समुचित कारण के कारण बताओं नोटिस देकर अनुबंधों को लंबित रखा गया है, जबकि संविदा नीति- 2018 में इस प्रकार का कोई प्रावधान नहीं है। अतः जब संविदा नीति के बिन्दु 5.1.2 में 60 वर्ष तक की आयु में कार्य करने का प्रावधान दिया गया है एवं वर्तमान में कार्यरत विद्युत संविदा कर्मी वर्षों से कार्यरत हैं इसलिए मध्य प्रदेश की वर्तमान सेवानिवृत्त आयु 62 वर्ष तक का एक अनुबंध कराया जाना उचित होगा।
संविदा कर्मियों को संविदा नीति 2018 के परिशिष्ट 1 की तालिका में दर्शाए प्रारूप अनुसार नियमित कर्मचारी के वेतन का 90% वेतन दिए जाने का उल्लेख है किन्तु मध्य क्षेत्र कंपनी अंतर्गत कार्यरत परीक्षण सहायक संविदा को नियमित परीक्षण सहायक के बेसिक का 90% दिया जाना था जो कि रू. 25,300/- का 90% रू. 22.770/- होना चाहिये था किन्तु इसके स्थान पर स्टाफ नर्स का बेसिक दिया जा रहा है, जबकि मध्यक्षेत्र कंपनी में ही नियमित परीक्षण सहायक कार्यरत है, जिनके बेसिक रू 25.300 का 90% संविदा परीक्षण सहायक को दिया जाना चाहिये।
संविदा नीति 2018 के वर्णित बिंदु 73.4 अनुसार संविदा कर्मी जो किन्ही प्रकरणों में दोषी होने के पश्चात नियमित कर्मचारी की ही भांति कार्यवाही के पात्र होते हैं किंतु अधिकांश क्षेत्रों में उनके ऊपर मनमानीपूर्ण कार्यवाही की जाती है जिसमें उनकी गोपनिय चरित्रावली खराब कर सेवा से निष्कासित कर दिया जाता है, जो कि उक्त नीति के नियमों की अवहेलना है। अतः उक्त नियम में संशोधन कर निष्कासन के स्थान पर नियमित कर्मी की भांति दोष सिद्ध होने पर निलंबन एवं अन्य कार्यवाही के नियम शंसोधित संविदा नीति 2018 उल्लेखित होना आवश्यक है।
विदयुत संविदा कर्मी राज्य शासन अंतर्गत बिजली कंपनियों के नियम के अनुसार कार्य करते हैं सेवा के दौरान स्वास्थ्य खराब होना दुर्घटना होना आदि की जिम्मेदारी बिजली कंपनी की होती इसलिए विद्युत संविदा कर्मियों को भी चिकित्सा प्रतिपूर्ति, पेंशन बीमा, अनुकंपा नियुक्ति एवं घातक/अघातक आर्थिक सहायता अनुदान के लिये कंपनी के नियमित कर्मियों की भांति पात्र होगें का उल्लेख उक्त नीति के वर्णित बिन्दुओं 4.5.14.5.2.4.5.5 एवं 4.5.7 में संशोधन होना आवश्यक है।
वर्तमान में विद्युत संविदा कर्मी बिजली विभाग में नियमित अधिकारी एवं कर्मचारियों का कार्य संभाल रहे हैं आज भी संविदा कर्मी सहायक कि नहीं बल्कि मुख्य भूमिका में नियमित कर्मियों की कमी के कारण उनके स्थान पर संपूर्ण दायित्वों के साथ कार्यों का निष्पादन कर रहे हैं ऐसी स्थिति में जहां नियमित कर्मियों को वर्ष में दो बार महंगाई भत्ता दिया जाता है तो वही संविदा कर्मियों को संविदा नीति 2018 में वर्णित बिंदू 4.2.1 के अनुसार वर्ष में केवल एक बार महंगाई भत्ता दिया जाता है। साथ ही नियमित कर्मियों को 3% वेतन वृद्धि मूल वेतन में जोड़ा जाता है तो वही संविदा कर्मियों को उक्त नीति के वर्णित बिंदु 4.2.2. के अनुसार वर्ष में केवल 1% वेतन वृद्धि स्थिर राशि से निकाल कर मूल वेतन में जोड़ दिया जाता है जो कि संविधान के समानता के अधिकार का उल्लंघन है जब जिम्मेदारियां सामान, कार्य समान जोखिम समान, पद समान फिर भी यह भेदभाव, नियम विरुद्ध है उक्त संशोधन भी नीति में आवश्यक है। अतः महगाई भत्ता की घोषणा होने पर नियमित कर्मियों की भांति संविदा कर्मियों को भी महगाई भत्ता घोषणा दिनांक से एरियर सहित दिया जावें एवं 1% की दर से वार्षिक कार्यदक्षता वृद्धि को बढ़ाकर नियमित कर्मियों की भांति 3% मूल वेतन में जोड़ा जायें।
आज विद्युत विभाग में विद्युत कर्मियों की इतनी कमी है की चाह कर भी संविदा कर्मियों के लिए कोई अलग से कार्यप्रणाली प्रायोगिक रूप से संभव नहीं है, जिस कारण विद्युत संविदा कर्मियों को नियमित कर्मियों की ही भांति खंभे पर चढ़कर जोखिम भरे कार्य पूर्ण करने होते हैं एवं नियमित कर्मियों की ही भांति उन्हें भी उपकेंद्रों एवं फ्यूज ऑफ कॉल पर रात्रि में ड्यूटी करनी होती है। राष्ट्रीय त्योहारों में भी नियमित कर्मियों की भांति विद्युत की व्यवस्था संभालनी होती है इसलिए विद्युत संविदा कर्मियों को भी जोखिम भत्ता, रात्रि कालीन भत्ता राष्ट्रीय त्योहार भत्ता, आवास भत्ता दिए जाने हेतु उक्त नीति के बिंदु 4.5.5.8.10 एवं 4.5.7 में संशोधन किया जाना आवश्यक है।
विद्युत संविदा कर्मी नियमित बिजली कर्मी के स्थान पर मुख्य भूमिका में कार्यों का निष्पादन कर रहे है जिसमें जोखिम में भी समानता है अतः विद्युत संविदा कर्मियों का एक्सीडेंटल बीमा नियमित कर्मियों के समान किए जाने हेतु संशोधन उक्त नीति के बिंदु 45.8 में आवश्यक है। महिला संविदा कार्मिको को मध्य प्रदेश शासन की नीति के अनुसार प्रसूति अवकाश की पात्रता के अलावा संतान देखभाल अवकाश (चाइल्ड केयर लीव की भी पात्रता होनी चाहिए इसके साथ ही पुरुष संविदा कार्मिकों को 15 दिनों के पितृत्व अवकाश के लिए पात्र किये जाने संबंधी संशोधन आवश्यक है।
वर्तमान में संविदा कार्मिकों को आकस्मिक अवकाश के अलावा समानुपातिक आधार पर केवल 10 दिवस के चिकित्सा अवकाश की पात्रता है, जो उपयोग नहीं होने पर वर्षवधि उपरांत स्वतः ही कालकवलित हो जाते है। संविदा कार्मिकों के परिवार अथवा स्वयं के साथ आकस्मिक घटना अथवा आपातकालीन परिस्थितियों के घटित होने के कारण कार्य में अनुपस्थिति के दिनों को पर्याप्त मात्रा में अवकाश न होने के कारण अवैतनिक कर दिया जाता है जिससे उन्हें आर्थिक एवं मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अतः संविदा कार्मिकों के वर्षावधि उपरांत उपयोग नहीं किये गए (शेष) चिकित्सा अवकाश को आगामी वर्ष के संविदा कार्मिकों के अवकाश लेखे में जोड़े जाने का अनुरोध है साथ ही संविदा कार्मिकों को नियमित कार्मिकों की भांती प्रतिवर्ष 30 दिवस के अर्जित अवकाश कि भी पात्रता प्रदान की जायें।
इसके अलावा यूनाइटेड फोरम न मांग की है कि मध्य क्षेत्र कंपनी के द्वारा परीक्षण सहायक नियमित वर्ष 2013 की प्रतीक्षा सूची के उम्मीदवारों को नियम विरुद्ध संविदा पर भर्ती किया गया जबकि निर्धारित पदों से अधिक की आवश्यकता पर पदों की संख्या घटाने एवं बढ़ाने का अधिकार कंपनी के पास सुरक्षित था किंतु कंपनी के द्वारा नियम विरुद्ध पदों को संविदा पर किया गया भर्ती का विज्ञापन नियमित हेतु लिखित परीक्षा नियमित हेतु साक्षात्कार नियमित हेतु किंतु प्रतीक्षा सूची के उम्मीदवारों को संविदा पर नियुक्त करना नियम विरुद्ध था जिसमें तत्काल सुधार करते हुए उन्हें नियमित किया जावे।
प्रारंभ से ही पूर्व क्षेत्र एवं पश्चिम क्षेत्र कंपनियों के द्वारा विद्युत संविदा कर्मियों का एनपीएस काटा जा रहा था एवं मध्य क्षेत्र कंपनी के द्वारा ईपीएफ काटा जा रहा था साथ ही ट्रांसमिशन कंपनी में किसी भी प्रकार की भविष्य निधि को सुरक्षित नहीं किया जा रहा था किंतु पूर्व क्षेत्र पश्चिम क्षेत्र एवं ट्रांसमिशन कंपनी के द्वारा वर्तमान में विद्युत संविदा कर्मियों के भविष्य को अंधकार में रखते हुए उनकी भविष्य निधि सुरक्षित नहीं की जा रही है जो कि केंद्र एवं राज्य सरकार के श्रमिक कानूनों का घोर उल्लंघन है तत्काल सभी कंपनियों में म.प्र. शासन के अनुसार एनपीएस प्रणाली शुरू की जाए।
संविदा कर्मियों को संविदा नीति 2018 के परिशिष्ट 1 की तालिका में दर्शाए प्रारूप अनुसार नियमित कर्मचारी के वेतन का 90% वेतन दिए जाने का उल्लेख है किंतु वर्तमान में विद्युत संविदा कर्मियों को प्राप्त होने वाला वेतन 90% से बहुत कम है जिसमें सुधार कर संविदा नीति 2018 में संविदा कर्मियों के स्थिर बेसिक में 5 वर्ष का इंक्रीमेंट 5% जोड़कर बेसिक निर्धारण किया जायें।
शीघ्रलेखक के नियमित पदों को म.प्र.म. क्षे. वि. वि. कंपनी भोपाल के संगठनात्मक संरचना में शामिल किया जाये चूंकि म.प्र. शासन सामान्य प्रशासन विभाग के पत्र दिनांक 05 जून 2018 जो कि संविदा पर नियुक्त अधिकारियों/कर्मचारियों को नियमित पदों पर नियुक्ति के अवसर प्रदान किये जाने हेतु नीति-निर्देश जारी किये गये हैं, उनमें कडिका 1.1 में उल्लेखित संविदा पर नियुक्ति के लिए जो पद चिन्हित हैं, उनको चरणबद्ध तरीके से नियमित पदों में परिवर्तित किये जाने हेतु स्पष्ट निर्देश जारी किये गये हैं।
वर्तमान संगठनात्मक संरचना में कनिष्ठ यंत्री आईटी नेटवर्क संविदा के पद स्वीकृत नहीं है जिसके कारण कंपनी में कार्यरत कर्मचारी आने वाली परीक्षा में सम्मिलित होने हेतु पात्र नहीं हो पाते है, अतः संगठनात्मक संरचना में कनिष्ठ यंत्री आईटी नेटवर्क के पद भी स्वीकृत किये जावें या इन्हे समकक्ष पदों पर सम्मिलित किया जाये।
विदयुत विभाग में लाइन परिचालक संविदा एवं ट्रांसमिशन कंपनी के परीक्षण परिचालक संविदा आईटीआई उत्तीर्ण एवं वर्षों से कुशल कार्य के अनुभवी हैं किंतु फिर भी उन्हें चतुर्थ वर्ग में निरंतर जारी रखना नियमों की अवहेलना है लाइन परिचालक संविदा को तृतीय वर्ग में रखने हेतु संविदा नीति 2018 में नियम सम्मिलित होना आवश्यक है।
अधिकांश विद्युत संविदा कर्मी सैकड़ों किलोमीटर दूर आंशिक वेतन पर कार्य कर रहे हैं जिससे वे न तो स्वयं का जीवन निर्वाह कर पा रहे हैं एवं अपने बुजुर्ग माता-पिता एवं परिवार का भरण पोषण करने में भी सक्षम नहीं है ऐसे विद्युत संविदा कर्मियों हेतु एक बार स्थानांतरण की प्रक्रिया आरंभ कर स्वेच्छा से गृह जिले या आसपास स्थानांतरित करवाने हेतु आवेदन स्वीकार कर स्थानांतरित किए जाने हेतु नीति बनाई जाए जिससे सभी लोग अपना कार्य सुचारू रूप से कर सके। तत्कालीक रूप से संविदा कर्मियों को नियमित कर्मियों की भांति मध्यप्रदेश ऊर्जा विभाग की सभी कंपनियों में प्रतिनियुक्ति की व्यवस्था लागू की जायें।
संविदा नीति-2018 के लागू होने की दिनांक 01.01.2018 के पूर्व संविदा में नियुक्त सभी सिस्टम एनालिस्ट एवं प्रोग्रामर्स को क्रमशः कार्यपालन अभियंता एवं सहायक अभियंता किया जायें एवं उनका वेतन पुन निर्धारण कर समकक्ष नियमित पद के अनुरूप किया जायें। संविदा कर्मचारियों के सेवा अभिलेख (व्यक्तिगत सेवा पुस्तिका / नस्ती) नियमित कर्मचारियों की भांति संधारण की व्यवस्था लागू किया जाना चाहिए।