जिदंगी में सिर्फ सुकून ढूँढ़िये। जरूरतें, ज़िम्मेदारियाँ और ख्वाहिशें कभी खत्म नहीं होंगी। दुख-सुख तो जिदंगी का हिस्सा है। चाहे आप नौकरी करते हों या व्यापार, आपकी आय कम हो या ज्यादा पर जिदंगी सुकून और आरामदायक भरी नहीं तो आप जिदंगी जी नहीं रहे हैं, काट रहे हैं।
एक दिन आप पायेंगे कि जिदंगी आपको जीकर निकल गयी। यारों एक दिन ऐसा आयेगा कि आपकी जिदंगी भर की पॉवर पॉइंट (Powerpoint) प्रजेंटेशन, एक्सेल शीट्स कुछ काम नहीं आयेंगी। कोई कंपनी और उसका अधिकारी आपकी सेहत को बेहतर बनाने नहीं आयेगा। न आपके भविष्य को बेहतर तरीक़े से जीने के उपाय बताने आयेगा। सिर्फ जितना उसको आपसे मतलब है, सिर्फ वही लेने आयेगा।
परिवार से बढ कर दूसरा कोई नहीं होता और अक्सर हम अपने परिवार की खुशियों को ताक पर रखकर अपनी क्षमता से अधिक अपने को काम में झौंक देते हैं। जो हमारी अपनी सेहत के लिए तो हानिकारक हो ही रहा है, उसके साथ साथ घर परिवार की खुशियों को जीते जी कुचल और निगल रहा है।
अपने लैपटॉप को दरकिनार कर अपने लिए और अपने परिवार के लिए जीना शुरू कीजिए। नहीं तो आप पायेंगे कि आपका शरीर आपका साथ छोड़ने को मजबूर हो जायेगा, जिंदगी जी कर निकल जायेगी। कार्य क्षेत्र के लिए तो आप अपना दिल भी निकाल कर रख दोगे, तब भी कम ही होगा, क्योंकि प्रतिस्पर्धा और अधिकाधिक लाभ और लोभ में अंधी हुई कंपनियों को आपकी सेहत और परिवार से रत्ती भर भी हमदर्दी नहीं होगी।
इसलिए यारों कुछ समय अपनी पसंदीदा रुचि, अपनी सेहत, अपने परिवार और बेहतर भविष्य निर्माण के लिए जरूर निकालें। आज आप स्वस्थ होगें तभी आप अपनी क्षमता का भरपूर उपयोग करने लायक रहेंगें।
-रचनाकार सुनील माहेश्वरी जी नई दिल्ली के निवासी हैं एवं एक मोटिवेशनल लेखक, ब्लॉगर एवं कवि भी हैं।