वरिष्ठ आलोचक डॉ निशा तिवारी ने कहा कि राजेन्द्र दानी स्मृति व संस्कारों के कथाकार हैं। उनकी कहानियों की विशिष्टता विचार व भाव है। विचार व भाव के माध्यम से वे कहानियों को विस्तार देते और कहानियों का अंत पाठकों को हतप्रभ कर देता है। राजेन्द्र दानी की कहानियां आधुनिक समाज का प्रतिबिम्ब है। डॉ निशा तिवारी आज रानी दुर्गावती संग्रहालय की कला वीथिका में मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन के संयोजन में आयोजित प्रतिष्ठित कथाकार राजेंद्र दानी की तीन पुस्तकों के लोकार्पण और विचार विमर्श कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार व्यक्त कर रही थीं।
कार्यक्रम में डॉ स्मृति शुक्ल द्वारा राजेन्द्र दानी के विशद कथा कर्म पर केंद्रित आलोचना एवं संचयन ग्रंथ संपादित ‘कहानीकार के रोशनदान’, राजेंद्र दानी के कहानी संग्रह ‘अन्विति’ और कथेतर गद्य ‘कथेतर’ का विमोचन किया गया।
युवा आलोचक एवं भोपाल की कथाकार कहानीकार श्रद्धा श्रीवास्तव ने कहा कि राजेन्द्र दानी की कहानियां स्मृति के कहानीकार हैं। वे जीवन की संवेदना को कहानी में परिवर्तित कर देते हैं। उनकी कहानियों की विशिष्टता जीवन का द्वन्द्व व टकराहट है। राजेन्द्र दानी की कहानियों में पिता-पुत्र का संवाद पीढ़ियों के अंतर को सामने लाता है।
संपादकीय वक्तव्य वरिष्ठ आलोचक डॉ स्मृति शुक्ल ने देते हुए कहा कि राजेन्द्र दानी को कहानी लिखते हुए चार दशक हो गए लेकिन वे कभी अपनी पुस्तकों को विमोचन करवाने के लिए उतावले नहीं हुए। राजेन्द्र दानी का लेखन मूल्यों पर आधारित है। उनका लेखन पारिवारिक संस्कार की परिणति है। उनकी बैचेनी से ही कहानियां फूट कर निकली हैं। राजेन्द्र दानी की कहानियां संयमित हैं और उनका विरोध स्वर अपनी सीमा का अतिक्रमण नहीं करता। इस अवसर पर कथाकार राजेन्द्र दानी ने अपनी कहानी अन्विति का पाठ किया। पूर्व पीठिका एवं संचालन का दायित्व कवि विवेक चतुर्वेदी ने निभाया।