इस समय सारा विश्व ही कोरोना से ग्रसित है और ऐसे में कोई भी व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव सुनकर ख़ौफ खा जाता है। आज कोई भी पॉजिटिव नही बल्कि नेगेटिव होना चाहता है और ये होना भी चाहिए, क्योंकि अब पॉजिटिव होना आपके जीवन पर प्रश्न चिन्ह खड़े करता है। अब नेगेटिव बने रहना ही एक प्रयास और ईश्वर से प्रार्थना है। कोरोना पॉजिटिव जहाँ एक ओर इंसानों के लिए नेगेटिव है, तो वही यह पॉजिटिव होना प्रकृति, पेड़-पौधों से लेकर छोटे-बड़े जीव-जंतुओं और नदियों से लेकर समुद्रों तक, गली से लेकर रोड़ तक सब पॉजिटिव सांस ले रहे है। आज पर्यावरण से लेकर नदियों तक प्रदूषण रहित हो रही है। कोरोना पॉजिटिव ने जीव-जंतुओं एवं समस्त प्रकृति एवं वातावरण को एक नया जीवन दिया है।
कोरोना के आने के बाद हम सब नेगेटिव पर ज्यादा विश्वास करने लगे है और हर बात को नकारात्मक लेने लगे है, पर नेगेटिव प्रभाव भी पड़ा है। जिसके कारण ऐसा होना लाजमी है, आज चारों और सिर्फ कोरोना और कोरोना से जुड़ी ही खबर है, कोरोना से मौत, कोरोना की संख्या लाखों में हो गयी, उसके यहाँ इसके रिश्तेदार को हो गया, मजदूरों का बेबस पलायन, भूख से दम तोड़ते मजदूर, मजदूरों को ट्रेन ने कुचला जैसी दर्दनाक घटनाओं को देखते हुए आदमी कैसे पॉजिटिव रह सकता है, तीन लॉकडाउन और अपनों से ही दूरी, न कहीं जाना, न कहीं आना, यह सिर्फ नेगेटिव रहने के लिए ही है।
आज हमारा नेगेटिव होना, लाखों जीव-जंतुओं का पॉजिटिव बना है। जी हाँ, हम बात उन बेजुबां जानवरों की कर रहे है, जो सड़क या सड़क के किनारे अपना जीवन यापन करते है। उन्हीं जानवरों की जो तुम-हम सब अपनी धुन में इस बात से अंजान इन्हें अपने वाहनों से कुचलते हुए चले जाते है, न जानें कितने ही जीव को हम उनकी जिंदगी से आजाद करके आते है, वहीं जीव जिन्हें हम देख तक नही पाते है,उनका दम निकाल आते है।
जहाँ हम लॉकडाउन, कोरोना, मजदूर से लेकर हर वर्ग तक के लिए नकारात्मक रहा है, वही यह लॉकडाउन, कोरोना यह सब सड़क के आसपास वास करने वाले जीवों के लिए प्राणदायिनी संजीवनी साबित हुआ है। आज यातायात कम होने के कारण इन जीवों की मृत्यु दर में काफी कमी आयी है, आज इन जीवों को रोड़ के किनारे बहुतायत संख्या में देखा जा सकता है। जिन्हें हम अपने वाहनों के टायरों के नीचे एक किसी कसाई की भांति कुचल आते है। आज वह जीव भी रोड़ के हिस्से पर आसानी से जीवन-यापन कर पा रहे है। यह लॉकडाउन उनके जीवन मे एक सकारात्मकता के रूप में आया है। लॉकडाउन के सकारात्मक पक्ष में इन लाखों बेजुबान जीवों की जिंदगी में एक क्रांति सी आयी है।