जयपुर (हि.स.)। राजस्थान सिन्धी अकादमी द्वारा वित्तीय वर्ष 2024-25 में ’’पाण्डुलिपि प्रकाशन सहयोग योजना’’ के अन्तर्गत राजस्थान के मूल निवासी सिन्धी लेखकों की अप्रकाशित पाण्डुलिपियां प्रकाशन के लिए आमंत्रित की जाती हैं।
अकादमी सचिव योगेन्द्र गुरनानी ने बताया कि योजना में लेखक को 20 हजार की आर्थिक सहायता दी जायेगी। नियमानुसार किताब डेमाई साईज में कम से कम 80 (अस्सी) पृष्ठ एवं क्राउन साईज में 100 (एक सौ) पृष्ठ होने चाहिये। किताब के रूप में इसका 25 प्रतिशत से अधिक हिस्सा पूर्व में प्रकाशित नहीं होना चाहिये। किताब छपने के बाद लेखक को अकादमी कार्यालय के लिये 100 प्रतियां देनी होगीं। किताब का नाम मुख्य पृष्ठ पर रंगीन एवं आखिरी पृष्ठ (कवर) पर अकादमी के मुख्य उद्देश्य (जिसकी प्रति अकादमी उपलब्ध करायेगी) छपवाने आवश्यक होगें। किताब में इश्तहार/विज्ञापन छपवाने की इजाजत नहीं होगी। इस योजना में पाण्डुलिपि की रचनायें एक पृष्ठ अरबी लिपि में एवं दूसरे पृष्ठ में उसका अनुवाद देवनागरी लिपि में होने पर भी स्वीकृत की जा सकेगी, लेकिन अनुवाद को पृष्ठ संख्या में सम्मिलित नहीं माना जायेगा।
उन्होंने यह भी बताया कि पाण्डुलिपि प्रकाशन में अनुवादक को मूल लेखक से अनुवाद करवाने की लिखित स्वीकृति लेनी होगी एवं मूल स्वीकृति पाण्डुलिपि के साथ अकादमी कार्यालय में भिजवानी आवश्यक होगी। मूल स्वीकृति नहीं होने पर पाण्डुलिपि पर विचार नहीं किया जायेगा। अकादमी के आर्थिक सहयोग से पूर्व में प्रकाशित पुस्तकों को अनुवाद प्रकाशन में सम्मिलित नहीं किया जायेगा। जिन लेखकों की पाण्डुलिपियां वित्तीय वर्ष 2023-24 में अकादमी के आर्थिक सहयोग से प्रकाशित हुई हैं, वे लेखक इस वित्तीय वर्ष 2024-25 की योजना में भाग नहीं ले सकेगें।
लेखक को पाण्डुलिपि (दस्तखत) की तीन प्रतियां भिजवानी होगीं। एक प्रति पर लेखक का नाम, पता लिखा हो एवं दो प्रतियों पर लेखक का नाम, पता लिखा न हो। पाण्डुलिपियां 31 जुलाई, 2024 तक अकादमी कार्यालय में पहुंचनी आवश्यक है। अधिक जानकारी के लिये अकादमी कार्यालय के दूरभाष सं. 0141-2700662 पर सम्पर्क किया जा सकता है।