डॉ अजय चौधरी की प्रेरक जीवनकथा की किताब, छोटे शहर का लड़का बड़े सपने और महत्वाकांक्षाएं लिए दुनिया में निकला और एक दिन भारत की तीन परिवर्तनकारी क्रांतियों के अग्रदूतों में शामिल हुआ जो थीं- कंप्यूटर क्रांति, मोबाइल टेलीफोनी और सिस्टम इंटिग्रेशन
अपने गृहनगर में लौटना हमेशा यादगार अनुभव होता है। लेकिन जब आप उसी शहर के अपने आजीवन मित्रों के साथ अपने बचपन के शहर लौटते हैं तो बात और भी खास हो जाती है। कुछ ऐसा ही खास हुआ जबलपुर में जब इस शहर के दो लड़के डॉ अजय चौधरी और शरत सक्सेना एक साथ यहां पहुंचे। डॉ अजय चौधरी भारत की सबसे शुरुआती स्टार्टअप कंपनियों में से एक एचसीएल के सह-संस्थापक रहे हैं, आज यह कंपनी 12 अरब यूएस डॉलर की है। जानेमाने फिल्म अभिनेता शरत सक्सेना और डॉ अजय चौधरी ने फैसला किया कि अपने गृहनगर के इस दौरे में वे दोस्ताना हंसी-मजाक के साथ अपने मित्रों, परिवार तथा क्राइस्ट चर्च स्कूल व जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के विद्यार्थियों की उपस्थिति में अपनी जीवन यात्रा पर चर्चा करें। यह अवसर था डॉ चौधरी की हाल ही में प्रकाशित संस्मरण पुस्तक के विमोचन का जिसका शीर्षक है- जस्ट ऐस्पायरः नोट्स ऑन टेक्नोलॉजी, आंत्रप्रिन्योरशिप एंड द फ्यूचर।
दिल्ली, हैदराबाद, बेंगलुरु, मुंबई व पुणे में इस किताब के लांच पर बहुत स्वागत हुआ, कामयाबी के इसी सफर पर आगे बढ़ते हुए जबलपुर के विजन महल में यह पुस्तक अब डॉ चौधरी के गृहनगर में लांच हुई है। यह शहर देश के कई जानेमाने व्यक्तियों का गृहनगर है, तो जाहिर है कि आंखों में सपने लिए जब कोई युवा इस शहर से निकलता है तो वह भी किसी दिन उनकी ही तरह कुछ बड़ा करने के इरादा लिए चलता है।
जबलपुर के पद्म भूषण डॉ अजय चौधरी और शरत सक्सेना ने अनौपचारिक बातचीत करते हुए अपने बचपन की कहानियों को साझा किया और बताया कि पुराने ढंग के शहर जबलपुर में पलने-बढ़ने का अनुभव कैसा हुआ करता था। चौधरी और सक्सेना ने अपने अनुभवों पर बात की, साथ दोनों के करियर की भी झलकियां मिलीं, पता चला कि अपने जीवन को कामयाब बनाने के लिए उन्होंने कितनी कड़ी मेहनत की है, यह उस दौर की बात है जब उनकी आकांक्षाएं ही उनकी सबसे बड़ी सम्पत्ति थी।
डॉ अजय चौधरी ने कहा, ’’इस शहर में बड़ा हुआ था और जब मैं अपने करियर के लिए बाहर जा रहा था तब मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन मैं स्वयं को उन अग्रदूतों की टोली में खड़ा पाउंगा जो भारत में क्रांतिकारी परिवर्तन लेकर आएंगे। मैंने केवल इस पर ध्यान दिया कि भारत की उन्नति में अपना अर्थपूर्ण योगदान दे पाउं और उसी चीज ने आज मुझे इस मुकाम पर पहुंचाया है। जब मैं आज के भारतीय युवाओं को देखता हूं और उनके साथ चर्चा करता हूं तो पाता हूं कि उनके मन में बहुत कुछ कर गुजरने का जज्बा है जिससे मुझे यह भरोसा मिलता है कि हमारा देश नई ऊंचाईयों को छूने के लिए तैयार है और हम उन उपलब्धियों को प्राप्त कर सकते हैं जिनके बारे में अब तक सोचा भी नहीं गया है।’’
यह पुस्तक तीसरी बार प्रिंट हो चुकी है। जबलपुर में इसके लांच कार्यक्रम की मेजबानी द अलमनाई ऐसोसिएशंस ऑफ क्राइस्ट चर्च स्कूल और जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज ने की। इस अवसर पर पूर्व मुख्य न्यायाधीश एवं आर्म्ड फोर्सिस ट्रिब्यूनल के चेयरमैन राजेन्द्र मेनन तथा राज्य सभा सदस्य विवेक तनखा इन कॉलेजों के सैंकड़ों पूर्व विद्यार्थियों के साथ उपस्थित रहे।
पुस्तक के विमोचन पर डॉ अजय चौधरी को बधाई देते हुए शरत सक्सेना ने कहा, ’’अजय ने देश भर के कितने ही युवाओं के लिए एक मार्गदर्शक व संरक्षक काम काम किया है जो तकनीक और उद्यम के लिए उत्साहित हैं। उनकी उपलब्धियां सही मायनों में उल्लेखनीय हैं और वे हर भारतीय के लिए मिसाल हैं जो जिंदगी में कुछ बड़ा करना चाहते हैं। हम दोनों ही की शुरुआत इस छोटे से शहर जबलपुर से हुई है, हम अपने-अपने रास्तों पर आगे बढ़े और अपने लिए एक खास सफर की रचना की। आज हम जबलपुर लौट कर देख रहे हैं एक पूरी तरह नई युवा भारतीय पीढ़ी जो उत्साह से भरपूर है और इस दुनिया में कुछ कर दिखाने को तैयार है। अजय की किताब यादों और अनुभवों का संकलन है जिसमें कामयाबी, दृढ़ता और कड़ी मेहनत और इन सबसे ऊपर आकांक्षाओं की कहानियां हैं – हर उभरते उद्यमी को यह पुस्तक जरूर पढ़नी चाहिए।’’
राजेन्द्र मेनन- आर्म्ड फोर्सेस ट्रिब्यूनल के चेयरमेन न्यायमूर्ति राजेन्द्र मेनन ने कहा कि जबलपुर विधि शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है जिससे जबलपुर का देश में शैक्षणिक महत्व बढ़ा है। इस वर्ष मध्यप्रदेश में 20 लॉ संस्थान की स्थापना हो रही है जिसमें से जबलपुर के 6 संस्थान हैं।
विवेक तन्खा- राजसभा के सदस्य सांसद विवेक तन्खा ने कहा कि जबलपुर शिक्षा का गढ़ रहा है। यहां कि सांस्कृतिक व साहित्यिक विरासत समृद्ध रही है। जबलपुर का ऐतिहासिक महत्व रहा है। पिछले 50 साल में जबलपुर दूसरे स्थानों की तुलना में पिछड गया। जबलपुर इस गौरव को पुन: हासिल कर सकता है। जबलपुर के सभी नागरिकों को बदलाव लाना होगा। अजय चौधरी की पुस्तक का विमोचन कार्यक्रम जबलपुर के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध होगा। आज अजय चौधरी ने प्रेरणा को जीवन के लिए सबसे जरूरी बताया। सिर्फ प्रेरणा ले कर प्रत्येक व्यक्ति तरक्की कर सकता है। अजय चौधरी की पुस्तक जीवन में प्रेरणा के महत्व को रेखांकित करती है।
इस कार्यक्रम में क्राइस्ट चर्च स्कूल्स अलमनाई ऐसोसिएशन के विशेष अतिथियों में शामिल थे- रमिंदर सिंह चोपड़ा, प्रेसिडेंट, सीसीएसएए; अमित वेगड़, सचिव, सीसीएसएसए; चंद्रेश वीरा, चेयरमैन, सीसीएसएए; सीए राकेश मदान, कोषाध्यक्ष, सीसीएसएए; असगर अली तैयब अली, वाइस प्रेसिडेंट, सीसीएसएए; श्री रणजय मदान, वाइस प्रेसिडेंट, सीसीएसएए; श्री रूपेश बगमार, वाइस प्रेसिडेंट, सीसीएसएए और डॉ अभिजीत मुखर्जी, संयोजक, सीसीएसएए आदि।
जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज अलमनाई ऐसोसिएशन के प्रेसिडेंट महिन्दर सिंह गुजराल और सचिव आई.एस. रूपराह विशिष्ट अतिथि रहे। जेईसीएए की कार्यकारी समिति के अन्य सदस्यों में शामिल थे- तरुण आनंद, वाइस प्रेसिडेंट; सपन बोस, सचिव; विवेक चौधरी, कोषाध्यक्ष। वित्तीय समिति के सम्मानित सदस्यों में शामिल थे- ज्ञानेन्द्र सिंह, अरविंद नायक, विनोद बरथरे और डॉ प्रदीप झिंगे। ये सब इस संध्या के प्रमुख अतिथियों में शामिल थे।
आज डॉ चौधरी को ’फादर ऑफ इंडियन हार्डवेयर’ कहा जाता है, वह इलेक्ट्रॉनिक्स में आत्मनिर्भरता के निरंतर पैरोकार रहे हैं। भारत को दुनिया का इलेक्ट्रॉनिक्स केन्द्र बनाने की दिशा में काम करने वाली कई सरकारी समितियों में उन्होंने सेवाएं दी हैं और आज भी दे रहे हैं। उनके योगदान का सम्मान करते हुए 2011 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा उन्हें भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
यह किताब बहुत दिलचस्प ढंग से बताती है कि किस प्रकार हार्डवेयर से भारत के सॉफ्टवेयर उद्योग का जन्म हुआ। इस पुस्तक के पाठकों को उद्यमशीलता, नेतृत्व, सेल्समैनशिप, संस्थानों व राष्ट्र निर्माण के विषय में अनमोल जानकारी मिलेगी और वे बड़ा सोचने व परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित होंगे। एक व्यक्ति जो उद्यमी, खिलाड़ी, सेल्सपर्सन, इंजीनियर, शिक्षाविद, जैज़ संगीत का कद्रदान, गायक, निवेशक तथा और भी बहुत कुछ है उससे मिलने वाले सबकों की बेशक बहुत अहमियत है।
’’मेरी अब तक की जीवनयात्रा बहुत दिलचस्प रही है। मेरे मन में इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं है कि इलेक्ट्रॉनिक्स व सेमिकंडक्टर उद्योग में भारत, चीन समेत अधिकांश देशों पर वर्चस्व हासिल कर सकता है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि वह दिन दूर नहीं जब भारत इलेक्ट्रॉनिक्स का वैश्विक केन्द्र बन जाएगा और पूरी दुनिया के लिए सर्वोत्तम उत्पादों का निर्माण करेगा,’’ डॉ चौधरी ने कहा।