क्यों सबसे प्राचीन है जबलपुर का खेल इतिहास-10: पंकज स्वामी
(भोपाल में स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के गठन की बात से जबलपुर व महाकोशल के खिलाड़ी, खेल संगठन और खेल प्रेमी उद्वेलित हैं। संभवत: जबलपुर का खेल इतिहास पूरे मध्यप्रदेश में सबसे पुराना है। जबलपुर को एक समय मध्यप्रदेश की खेलधानी का तमगा हासिल था। यहां सभी खेलों के मुख्यालय थे। जबलपुर से ही खेलों की शुरुआत हुई और उनका पूरे मध्यप्रदेश में प्रसार हुआ। जबलपुर के खेल इतिहास सिरीज में आप नौ किश्त पढ़ चुके हैं। यह दसवीं किश्त है। प्रयास होगा कि सभी खेलों का इतिहास यहां प्रस्तुत हो पाए।)
पिछले से जारी बैडमिंटन………….
श्रीराम (एसआर) चड्डा के अलावा श्रीमती एमजे पिंटो जबलपुर में बैडमिंटन की महत्वपूर्ण स्तम्भ रहीं हैं। वे उबेर कप में भाग लेने वाली भारतीय टीम की मैनेजर की भूमिका निभा चुकी थीं। श्रीमती पिंटो ने भारतीय महिला बैडमिंटन टीम की मैनेजर के रूप में जापान, हांगकांग व बर्मा की यात्राएं की थीं। पिंटो अपने समय की एक उत्कृष्ट बैडमिंटन खिलाड़ी भी थीं।
अशोक सेदा के अलावा जबलपुर से कुछ और अंतरराष्ट्रीय व रैंकिंग प्राप्त बैडमिंटन क्षितिज में उभरे। इनमें अनूप चौधरी, पार्थो गांगुली व अनिता मदान गांगुली के नाम प्रमुखता से लिए जा सकते हैं। पार्थो गांगुली 1974 में तेहरान एशियाड में टीम स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम के खिलाड़ी थे। उनके साथी खिलाड़ी थे-दविंदर आहूजा, रमन घोष, दिनेश खन्ना व प्रकाश पदुकोण। पार्थो गांगुली को 1977 में प्रथम अधिकारिक विश्व चैम्पियनशिप में पहले नंबर की रैंकिंग दी गई थी। 1983 के फ्रेंच इंटरनेशनल में पार्थों गांगुली ने विक्रम सिंह के साथ मिलकर और इसी वर्ष लेरॉय डि’सा के साथ आस्ट्रियन इंटरनेशनल का खिताब जीता था। वे चार बार राष्ट्रीय युगल चैंपियन और एक बार मिश्रित युगल में कांस्य पदक विजेता रहे। उन्हें 1982 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
जबलपुर के पार्थों गांगुली, अनिता मदान गांगुली व वंदना चिपलुनकर को उनकी उत्कृष्टता के लिए विक्रम पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अनूप चौधरी को वर्ष 1978 में सेंट्रल इंडिया बैडमिंटन प्रतियोगिता के मौके पर मध्यप्रदेश क्रीड़ा परिषद ने विशेष पुरस्कार प्रदान किया था। जबलपुर में रहते हुए विवेक तत्वादी मध्यप्रदेश के चैम्पियन बने।
13. कबड्डी-अन्य भारतीय या देशी खेलों की तरह कबड्डी का उद्भव महाराष्ट्र व्यायामशाला व अन्य संस्थाओं से हुआ। जबलपुर की कबड्डी टीम ने 1942 में लाहौर में एक चैम्पियनशिप जीती थी। जबलपुर के कबड्डी जगत में उस समय एक महत्वपूर्ण मोड़ आया जब यहां 1955 में प्रथम नेशनल कैम्प का आयोजन किया गया। जबलपुर के एसके थुबे कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया के मानद सचिव रहे। जबलपुर के एलएम राठौर जिन्होंने कबड्डी पर कुछ उपयोगी साहित्य लिखा था, को ‘भारत गुरु’ कहा जाता था और उनका कबड्डी जगत में बड़ा सम्मान था। छठे दशक में आरएस शुक्ला ने खिलाड़ी और आरडी यादव ने कबड्डी कोच के रूप में ख्याति हासिल की। महिला खिलाड़ियों में आशा रसाल व उषा बिंगले का नाम प्रमुखता से लिया जाता था। पुराने प्रसिद्ध खिलाड़ियों में एस केंकरे, प्रकाश शुक्ला मदन शर्मा, आर. शुक्ला कुलवंत सिंह जैसे खिलाड़ी थे। मध्यप्रदेश कबड्डी संघ के पदाधिकारियों में मानद सचिव एपी दुबे, एमए खान व एनके सिंगोटे ने संगठन को सुदृढ़ बनाने में महत्वपूर्ण कार्य किया।
………….जारी रहेगा