किरन जादौन ‘प्राची’
शिक्षिका,
करौली, राजस्थान
हमारा भारत देश त्यौहार और उत्सवों का देश है। यहां हर दिन एक त्यौहार होता है। इन्हीं में से एक त्यौहार धनतेरस का है, जो अपना विशेष महत्व रखता है। कार्तिक मास कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है।
इस दिन से दीपावली का त्यौहार आरंभ हो जाता है। धनतेरस का अर्थ होता है धन की तेरस। धनतेरस के बारे में अलग-अलग मान्यताएं हैं।
हमारे हिंदू धर्म में मान्यता है कि इस दिन समुद्र मंथन से आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। अमृत कलश से अमृत पीकर देवता अमर हो गए और इस दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म भी हुआ था। धनवंतरी देवताओं के चिकित्सक थे। इसलिए धन्वंतरि जयंती को आयुर्वेद दिवस घोषित किया गया है। आयु एवं अच्छे स्वास्थ्य की कामना हेतु भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है।
भगवान धन्वंतरि के अलावा इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, यम और कुबेर की भी पूजा की जाती है। जिससे घर में उत्तम स्वास्थ्य सुख समृद्धि बनी रहे। माता लक्ष्मी का भी अवतरण समुद्र मंथन से हुआ था। धनतेरस के दिन यमराज के लिए दीपदान करने की भी परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि यमराज के लिए इस दिन दीपदान करने से अकाल मृत्यु नहीं होती। धनतेरस के दिन नए बर्तन, सोने चांदी के आभूषण, सोने चांदी के सिक्के आदि खरीदने की भी परंपरा है।
आजकल लोग अन्य उपयोगी सामान जैसे वाहन, कंप्यूटर, मोबाइल आदि भी खरीदने लगे हैं। इसके साथ ही दीपावली पूजन के लिए नए वस्त्र, गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति, खील, खिलौने, बतासे मिठाई आदि भी खरीदे जाते हैं। धनतेरस के दिन खरीदारी करना शुभ माना जाता है।
कहते हैं कि धनतेरस के दिन भगवान महावीर योग निरोध में लीन हुए और तीन दिन पश्चात दीपावली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुए थे। इसलिए जैन धर्म में इसे धन्य या ध्यान तेरस भी कहते हैं। भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों में भी धनतेरस का विशेष महत्व है वहां भी इसे बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। ग्रामीण क्षेत्र में गाय को मां लक्ष्मी का अवतार मानते हैं इस दिन गाय और मवेशियों की विशेष पूजा की जाती है और उन्हें सजाया जाता है।
इस तरह भारत के अलग अलग क्षेत्र में धनतेरस बहुत ही हर्षोल्लास से मनाई जाती है।