Tuesday, November 26, 2024
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जब किशोर कुमार की जबलपुर आने की हसरत रह गई अधूरी: पंकज स्वामी

पंकज स्वामी

भारत के सबसे लोकप्रिय फिल्मी गायक किशोर कुमार (Kishore Kumar) अगर आज जीवित होते तो वे 95 साल के होते। वे इस आयु में गा तो नहीं पाते लेकिन चाहने वालों के साथ गुनगुना तो जरूर लेते। इतने सालों के बाद भी उनके गीत गाने और चाहने वालों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। यह किशोर कुमार की लोकप्रियता का सबसे बड़ा प्रमाण है। आज 4 अगस्त को किशोर कुमार का जन्मदिन है।

अशोक-किशोर के बीच में 18 साल का अंतर

किशोर कुमार के बड़े भाई अशोक कुमार (Ashok Kumar) का जन्म भागलपुर में हुआ तो लालन-पालन खंडवा में। उनकी उच्च शिक्षा उस समय के सबसे बड़े व उत्कृष्ट जबलपुर के राबर्ट्सन कॉलेज (Robertson College) में हुई थी। अशोक कुमार 1934 में राबर्ट्सन कॉलेज से स्नातक हुए। जबलपुर निवासी मोनी चटर्जी की अशोक कुमार से मित्रता हुई और वे भी बंबई की फिल्म दुनिया में अभिनेता के रूप में प्रसिद्ध हुए। इस प्रकार गांगुली परिवार भी जबलपुर से जुड़ गया। अशोक कुमार व किशोर कुमार के बीच में 18 साल का फासला था, लेकिन जबलपुर व राबर्ट्सन कॉलेज के किस्से खंडवा में परिवार के बीच में सुनाए जाते थे। किशोर कुमार राबर्ट्सन कॉलेज के बारे में दादा मुनि से सुन कर जबलपुर के राबर्ट्सन कॉलेज में पढ़ने के सपने देखते थे। पिता कुंजलाल गांगुली ने किशोर कुमार को खंडवा के नजदीक इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़ने के लिए भेजा।

किशोर का जबलपुर आने का सपना रह गया अधूरा

किशोर कुमार का जबलपुर आने का सपना पूरा नहीं हो पाया लेकिन साल 1958 में बनी एक बंगला कॉमेडी फिल्म ‘लुकोचुरी’ (लुका-छिपी) की कहानी में आभासी (वर्चुअल) रूप से ‘जबलपुर’ शामिल हो गया। इस फिल्म की शुरुआत जबलपुर से होती है जिसमें किशोर कुमार अपने माता-पिता के साथ जबलपुर में रहते हैं। फिल्म में किशोर कुमार का नाम कुमार चौधरी ‘बुद्दू’ रहता है। किशोर कुमार के पिता की भूमिका जबलपुर निवासी अभिनेता मोनी चटर्जी ने निभाई थी और फिल्म का निर्देशन कमल मजुमदार ने किया था। फिल्म में हीरोइन माला सिन्हा व अनिता गुहा थीं। फिल्म में दिखाया गया है कि किशोर कुमार का एक कंपनी में बंबई ट्रांसफर हो जाता है और इसके बाद फिल्म गति पकड़ लेती है।

जबलपुर को मन से चाहते थे किशोर

बताया जाता है कि किशोर कुमार ने दादा मुनि की जबलपुर की याद को साकार करने के लिए ‘लुकोचुरी’ में जबलपुर को जिद कर के शामिल करवाया था। किशोर कुमार का जन्म खंडवा में हुआ था लेकिन वे जबलपुर को भी मन से चाहते थे। किशोर के इस जबलपुर प्रेम के लिए आइए हम सब उन्हें मन से याद करें और उनके मधुर गीतों को गुनगुनाएं। किशोर कुमार को श्रद्धांजलि।

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