क्यों सबसे प्राचीन है जबलपुर का खेल इतिहास-8: पंकज स्वामी
(भोपाल में स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के गठन की बात से जबलपुर व महाकोशल के खिलाड़ी, खेल संगठन और खेल प्रेमी उद्वेलित हैं। संभवत: जबलपुर का खेल इतिहास पूरे मध्यप्रदेश में सबसे पुराना है। जबलपुर को एक समय मध्यप्रदेश की खेलधानी का तमगा हासिल था। यहां सभी खेलों के मुख्यालय थे। जबलपुर से ही खेलों की शुरुआत हुई और उनका पूरे मध्यप्रदेश में प्रसार हुआ। जबलपुर के खेल इतिहास सिरीज में आप सात किश्त पढ़ चुके हैं। यह आठवीं किश्त है। प्रयास होगा कि सभी खेलों का इतिहास यहां प्रस्तुत हो पाए।)
पिछले से जारी………….
टेबल टेनिस- अन्य खेलों की तरह टेबल टेनिस की भी शुरुआत राबर्टसन कॉलेज से ही हुई। उस समय टेबल टेनिस कॉलेज और कुछ क्लबों में प्रचलित था। राबर्टसन कॉलेज के एके तन्खा ने 1922 में एक प्रतियोगिता में ईसी कॉलेज इलाहाबाद के विजेता विक्टर को पराजित कर तहलका मचा दिया था। सबसे सक्रिय क्लबों में गुजराती क्लब हुआ करता था। तीसरे दशक यानी कि 1930 में गुजराती क्लब ने सीपी एन्ड बरार टेबल टेनिस प्रतियोगिता का आयोजन किया। बाद में यह ट्राफी व चैम्पियनशिप नागपुर चली गई। वहां जबलपुर के एसआर नन्होरिया ने मंजूर आलम को पराजित कर खिताब जीता था।
वर्ष 1952 में जबलपुर के वायएमसीए (YMCA) में रतन मेहता व वी. गांगुली के प्रयास से मध्यप्रदेश टेबल टेनिस एसोसिएशन का गठन हुआ। 1956 में जबलपुर सीपी एन्ड बरार व नागपुर से अलग हो गया और नए एसोसिएशन का गठन किया गया। राममूर्ति इसके प्रथम सचिव बने।
जबलपुर में टेबल टेनिस की महत्वपूर्ण प्रतियोगिता तीसरी सेंट्रल इंडिया टेबल टेनिस प्रतियोगिता 1959 में आयोजित हुई। उस समय इस प्रतियोगिता के फाइनल में मुख्य अतिथि के रूप में मशहूर क्रिकेट खिलाड़ी सीके नायडू जबलपुर आए। कुछ समय तक जबलपुर में टेबल टेनिस की गतिविधि ठप्प सी पड़ गईं लेकिन 1963 में एबी पटेल के अध्यक्ष व श्रीपाद सप्रे के सचिव बनते ही पुन: टेबल टेनिस में सक्रियता दिखने लगी।
1964 में यूगोस्लाविया के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी एक प्रदर्शन मैच खेलने जबलपुर आए। उस समय जबलपुर में टेबल टेनिस खिलाड़ियों की एक लंबी फेहरिस्त थी जिनमें डी. रॉक, एसकेएस शर्मा, हसन, एसके चोपड़ा, नेरूला बतरा, योगेश सचदेवा, विश्वनाथन, ए. मल्होत्रा, हांडा, जार्ज व उप्पल जैसे प्रमुख थे। जबलपुर के एसके चोपड़ा उस समय मध्यप्रदेश नंबर एक टेबल टेनिस खिलाड़ी थे।
जूनियर वर्ग के लिए टेबल टेनिस की प्रतिस्पर्धात्मक प्रतियोगिताओं की शुरुआत सीआर सिंक्यलेयर ने की। जूनियर खिलाड़ी के कोच के रूप में हसन को जिम्मेदारी सौंपी गई। वर्ष 1963 में ही जबलपुर डिस्ट्रिक्ट टेबल टेनिस एसोसिएशन का गठन किया गया। कुछ समय बाद जबलपुर में नेशनल टेबल टेनिस चैम्पियनशिप का आयोजन विषम परिस्थिति में किया गया। यह आयोजन श्रीपाद सप्रे के अकेले प्रयास से ही संभव हुआ। यह दुर्भाग्यपूर्ण हुआ कि सप्रे के नौकरी में ट्रांसफर होने के साथ ही मध्यप्रदेश टेबल टेनिस एसोसिएशन का मुख्यालय जबलपुर से स्थानांतरित होकर इंदौर चला गया।
श्रीपाद सप्रे के जबलपुर से जाने के बाद कुछ लोग टेबल टेनिस की गतिविधि को सक्रिय करने के लिए आगे आए। इनमें किरण अमीन का नाम प्रमुख है। उन्हें डीपी साठे, सुरेश वर्मा, एनके घोष, शशि मोहन श्रीवास्तव जैसे लोगों ने सहयोग दिया। एसआर बाजपेयी जबलपुर डिस्ट्रिक्ट टेबल टेनिस एसोसिएशन की जान थे। उस समय टेबल टेनिस एसोसिएशन में केएन श्रीवास, एसपी चेलवम, एस. शिवरमन, सीआई प्रसादम, एनपी वर्मा जैसे कर्मठ कार्यकर्त्ता थे जो किसी भी समस्या के समाधान के सदैव तत्पर रहते थे। अंतरराष्ट्रीय एएमके मुदालियर के निधन के बाद उत्पन्न हुई शून्यता को कभी भी आसानी से भरपाई नहीं हो पाई।
जबलपुर में एक समय टेबल टेनिस टीम में स्थान बनाने के लिए इतनी जबर्दस्त प्रतिस्पर्धा रहती थी कि जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती। टीम में स्थान बनाने के लिए प्रत्येक खिलाड़ी को कड़ा संघर्ष करना पड़ता था। जबलपुर के खिलाड़ी इंदौर के खिलाड़ियों को कड़ी टक्कर देते थे। जबलपुर की टेबल टेनिस में जिन खिलाड़ियों ने सर्वाधिक संभावना दिखाई उनमें आलोक चौहान, प्रमोद जैन, केके जाधव, अजीत प्रसादम, रफीउद्दीन, अनूप चौहान, दीपक वर्मा, फैज अली, सुमीत दत्ता, मनीष जैन, विश्वजीत घोष, किरण खरे, मधु पांडे, सरिता जैन, आर. प्रसादम, पंकज साठे, मनीष नेमा व माधुरी साठे ने उत्कृष्ट प्रदर्शन कर प्रादेशिक व राष्ट्रीय स्तर पर सराहना बटोरी। किरण अमीन व डीपी साठे ने उम्र के लंबे पड़ाव तक खेलकर युवाओं को चुनौती दी। सुमीत दत्ता व मनीष जैन जूनियर वर्ग में मध्यप्रदेश के नंबर 1 खिलाड़ी रहे। 1980 में पुन: जबलपुर में सेंट्रल इंडिया टेबल टेनिस प्रतियोगिता का आयोजन स्थानीय मानस भवन में किया गया। संभवत: यह जबलपुर में अंतिम बार इस खेल का बड़ा आयोजन था।
(अगले भाग में बैडमिंटन)………….जारी रहेगा