एमपी के स्वास्थ्य कर्मियों को मिल रहा काल्पनिक सातवां वेतनमान, 27 महीने तक हुई आर्थिक हानि

मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा विभाग में पदस्थ स्वशासी कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का लाभ 1/4/2018 से दिया गया, जबकि 1/1/2016 से इस वेतनमान को काल्पनिक कहकर लागू किया गया है। तात्कालीन समय में सरकार द्वारा एक ही संस्था में कार्य करने वाले, नियमित वेतन प्राप्त करने वाले कर्मचारियों को 1/1/2016 से सातवें वेतनमान का लाभ दिया गया स्वशासी संवर्ग में लैब टेक्नीशियन, नर्सिंग, लिपिक, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, सहित अन्य वर्गों के कर्मचारियों को 27 माह के आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।

मध्य प्रदेश चिकित्सा शिक्षा कर्मचारी संघ के संयोजक वीरेंद्र तिवारी ने जारी विज्ञप्ति में बताया है कि आज स्वशासी संवर्ग के कर्मचारियों की मांगों को लेकर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री एवं अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा के नाम अधिष्ठाता नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज को एक सूत्रीय ज्ञापन सौंपा गया। जिसमें प्रदेश सरकार द्वारा पूर्व में कर्मचारियों को सातवें वेतनमान दिए जाने के आदेश प्रसारित किए गए थे।

संघ द्वारा निरंतर 27 माह के एरियर की मांग की जा रही है, वर्तमान में प्रदेश सरकार द्वारा चिकित्सकों को 1/1/2016 से सातवें वेतनमान दिए जाने की घोषणा की गई है। संघ ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि चिकित्सकों की भांति ही मेडिकल कॉलेज के समिति कर्मचारियों को भी 1/1/2016 से सातवें वेतनमान का लाभ दिया जाए और 27 माह का एरियर प्रदान किया जाए। संघ जिसे लेकर जल्द ही जबलपुर संभागायुक्त को ज्ञापन प्रेषित करेगा एवं मांगे पूरी न होने पर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों से को ज्ञापन सौंपा जाएगा। इस दौरान वीरेंद्र तिवारी अजय कुमार दुबे राजू मास्क प्रशांत श्रीवास्तव विपिन पीपरे रविंद्र राय अरुण चतुर्वेदी साहिल सिद्दीकी रमेश उपाध्याय सुरेश बाल्मिक हेमंत पांडे अनिल समुद्रे उपस्थित रहे।