एमपी के हजारों कर्मचारियों को नहीं मिला सातवें वेतनमान का वास्तविक लाभ, 27 माह तक हुआ आर्थिक नुकसान

सातवें वेतनमान को वास्तविक तारीख से लागू नहीं करने पर मध्य प्रदेश के हजारों कर्मचारियों को 27 माह के एरियर्स का नुकसान हो गया।

27 माह तक सातवां वेतनमान काल्पनिक कहकर लागू किया गया।

मध्य प्रदेश चिकित्सा शिक्षा कर्मचारी संघ संयोजक वीरेंद्र तिवारी ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि आज मंगलवार को स्वशासी संवर्ग के कर्मचारी मांगों को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम जबलपुर संभाग आयुक्त को एक सूत्रीय मांग का ज्ञापन सौंपा गया।

ज्ञापन में कहा गया कि प्रदेश सरकार द्वारा पूर्व में कर्मचारियों को सातवें वेतनमान दिए जाने के आदेश प्रसारित किए गए थे, जिसमें की चिकित्सा शिक्षा विभाग में पदस्थ स्वशासी कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का लाभ 1 अप्रैल 2018 से दिया गया, जबकि 1 जनवरी 2016 से इस वेतनमान को काल्पनिक कहकर लागू किया गया।

उस दौरान सरकार द्वारा एक ही संस्था में कार्य करने वाले नियमित वेतन प्राप्त करने वाले कर्मचारियों को 1 जनवरी 2016 से सातवें वेतनमान का लाभ दिया गया। जबकि स्वशासी संवर्ग में लैब टेक्नीशियन, नर्सिंग, लिपिक, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सहित अन्य वर्गों के कर्मचारियों को 27 माह तक आर्थिक नुकसान हुआ।

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संघ द्वारा निरंतर अपने 27 माह के एरियर की मांग की जा रही है। वर्तमान में प्रदेश सरकार द्वारा चिकित्सकों को 1 जनवरी 2016 से सातवें वेतनमान दिए जाने की घोषणा की गई है। संघ ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि चिकित्सकों की भांति ही मेडिकल कॉलेज के कर्मचारियों को भी 1 जनवरी 2016 से सातवें वेतनमान का लाभ दिया जाए और 27 माह का एरियर प्रदान किया जाए।मांगे पूरी न होने पर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों से को ज्ञापन सौंपा जाएगा।

इस दौरान वीरेंद्र तिवारी, अजय कुमार दुबे, राजू मस्के, प्रशांत श्रीवास्तव,विपिन पीपरे, रविंद्र राय, रमेश उपाध्याय, अमित विश्वकर्मा, संजय यादव, अमित, कमल मुद्गल, आलोक, राजेंद्र भट्टी, अनिल समुद्रे आदि उपस्थित रहे।