Thursday, May 2, 2024
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बिजली अधिकारियों की लापरवाही से आउटसोर्स कर्मियों को नहीं मिल पा रहा जोखिम भत्ता

सरकार कर्मचारियों के हित में घोषणा करती है और उस घोषणा को लागू किए जाने के लिए आदेश जारी करती है। इसके बाद संबंधित विभाग का प्रबंधन उक्त आदेश के पालन के लिए जमीनी अधिकारियों को निर्देशित करता है, लेकिन सरकार और प्रबंधन के आदेश की धज्जियां कैसे उड़ाई जाती है ये कोई बिजली कंपनियों के मैदानी अधिकारियों से सीखे।

बिजली कंपनियों के आउटसोर्स कर्मियों को ₹1000 जोखिम भत्ता दिए जाने के आदेश एमपी की पूर्ववर्ती शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने दिए थे, लेकिन बिजली कंपनी के मैदानी अधिकारियों की लापरवाही के कारण आउटसोर्स कर्मियों को आज भी उनके हक से वंचित रहना पड़ रहा है, क्योंकि अधिकारी समय पर आउटसोर्स कर्मियों की सूची संबंधित विभाग के पास नहीं भेजते।

मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि विगत दिनों संघ प्रतिनिधियों के द्वारा पूर्व क्षेत्र कंपनी की मुख्य महाप्रबंधक (मानव संसाधन एवं प्रशासन) से आउटसोर्स कर्मियों को ₹1000 जोखिम भत्ते का भुगतान नहीं किए जाने को लेकर चर्चा की गई थी। हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया था कि आदेश होने के बाद भी आउटसोर्स कर्मियों जोखिम भत्ता नहीं दिया जा रहा है।

इस पर मुख्य महाप्रबंधक के द्वारा संघ प्रतिनिधियों को बताया गया कि जो भी आउटसोर्स कर्मी के इलेक्ट्रीशियन ट्रेड से आईटीआई है अथवा ओवरहेड या तार मिस्त्री उत्तीर्ण है तथा जो लाइनमैन का कार्य कर रहे हों, उन सभी को ₹1000 जोखिम भत्ता प्रतिमाह दिया जाएगा। उन्होंने चर्चा के दौरान बताया कि अधिकारियों के द्वारा लिस्ट बनाकर ऑफिस में भेजना चाहिए, जितने भी आउटसोर्स कर्मियों की लिस्ट अधिकारियों के द्वारा भेजी जाती है, उन सभी को ₹1000 जोखिम भत्ते के रूप में दिए जा रहे हैं।

संघ के रमेश रजक, केएन लोखंडे, एसके मौर्य, जीके कोस्टा, शशि उपाध्याय, महेश पटेल, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, मोहन दुबे, राजेश यादव, अमीन अंसारी, लखन सिंह राजपूत, विनोद दास, इंद्रपाल सिंह, संदीप यादव, पवन यादव आदि ने जमीनी अधिकारियों से मांग की है कि यथासमय आउटसोर्स कर्मियों की सूची मानव संसाधन विभाग में भेजी जाए, ताकि समय पर जोखिम भत्ते का भुगतान किया जा सके।

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