Wednesday, May 22, 2024
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भोजशाला परिसर में पश्चिम क्षेत्र में हुआ लेवलिंग और खुदाई का काम

भोपाल (हि.स.)। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के आदेश पर धार की ऐतिहासिक भोजशाला में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) विभाग का सर्वे मंगलवार को 40वें दिन भी जारी रहा। एएसआई के 11 अधिकारियों की टीम 25 श्रमिकों के साथ सुबह आठ बजे भोजशाला परिसर में पहुंची और शाम पांच बजे बाहर आई। यहां टीम ने आधुनिक उपकरणों के जरिए वैज्ञानिक पद्धति से करीब नौ घंटे काम किया। सर्वे टीम के साथ हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा, आशीष गोयल और मुस्लिम पक्ष के अब्दुल समद खान भी मौजूद रहे।

एएसआई की टीम ने मंगलवार को गर्भगृह के पीछे की तरफ सर्वे का काम किया। दरअसल, यहां मंगलवार को हिंदू श्रद्धालु हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। इसी के तहत 11 बजे भोजशाला खाली होने के बाद दोपहर में परिसर के अंदर सर्वे जारी रहा। आज चूंकि अधिकारी कम थे, इसलिए सर्वे की गति भी दीमी थी। खुदाई का काम जारी रहा, वहीं आज भी भोजशाला में पश्चिम क्षेत्र में लेवलिंग की गई है।

इधर, उत्तर दक्षिण दिशा की ओर काम बंद था और आज दरगाह परिसर में भी काम नहीं हुआ। बीते सोमवार को सर्वे के दौरान दक्षिण-पश्चिम के कोने में एक नया पॉइंट चालू किया गया था, उस पर आज भी लेवलिंग का काम किया गया। वहीं जानकारी सामने आई है कि इस हफ्ते जीआरएस मशीन पहले सप्ताह में पहुंचने की संभावना है, जिससे सर्वे के काम और तेजी आएगी।

केंद्रीय पुरातत्व विभाग के अधीन भोजशाला परिसर में भोज उत्सव समिति द्वारा प्रति मंगलवार यहां पर सत्याग्रह का आयोजन किया जाता हैं। इस बार यहां सत्याग्रह में शामिल होने के लिए अयोध्या से साध्वी लक्ष्मी कनक बिहारी दास महाराज भी पहुंची। वह हाथों में भगवान ठाकुर जी की प्रतिमा को लेकर भोजशाला में दर्शन व पूजन के लिए आई थीं। इधर, मंगलवार के कारण अतिरिक्त पुलिस बल भी सुरक्षा की दृष्टि से तैनात किया गया था।

हनुमान चालीसा का हुआ पाठ

2003 में न्यायालय के आदेश के बाद प्रति मंगलवार हिंदू समाज को भोजशाला में पूजा का अधिकार है। भोजशाला के गौरव की पुनर्स्थापना को लेकर यहां पर सत्याग्रह किया जाता है। सुबह बड़ी संख्या में हिंदू समाज के लोग दर्शन के लिए पहुंचे। गर्भगृह में मां वाग्देवी व भगवान हनुमान का तेल चित्र रखकर पूजा अर्चना की गई। इसके बाद सरस्वती वंदना, हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए महाआरती भी की गई।

संत लक्ष्मी कनक बिहारी दास महाराज ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि भोजशाला राजा भोज की शाला है। हमने अपने चक्षुओं से दर्शन किए हैं तो ऐसा लग रहा है कि इससे अच्छा रमणीय स्थान हमने अपने जीवन में पुरातन पद्धति के अनुसार आज तक नहीं देखा। सबसे पुराना सनातनी स्थान आज हमने देखा है जो हमे और हमारे ठाकुर जी, रामलला जी सरकार को भाया है।

उन्होंने कहा कि भोजशाला को सर्वे की जरूरत नहीं हैं। सर्वे करना है तो यह ढके हुए बाहर जो सीमेंट से पोत दिए गए स्थान का करें। उनका सर्वे करवाएंगे तो खुदा को खुद का अहसास होगा उनको भी पता है कि जब खुदा खुदेगा तो भगवान ही निकलेगा। कोर्ट अपना कार्य कर रही है। 500 साल राम लला को भी टेंट से बाहर निकलने में लगे हैं, महल जाने में लगे। आज ठाकुर जी ने स्वयं भोजशाला के दर्शन किए हैं, राम जी का स्वयं का मानना है कि मेरा दास हनुमान दास जी महाराज अंदर बैठे हैं। इसलिए वह आज अयोध्या से यहां पधारे हैं कि उनको उनकी शक्ति का ज्ञान को बल दिया।

वहीं, हिन्दू पक्षकार गोपाल शर्मा का कहना है कि एएसआई के सर्वे का नतीजा अब दिखने लगा है। एएसआई के सर्वे से ये स्पष्ट होने लगा है कि जिस भोजशाला को मुस्लिम पक्ष कमल मौला मस्जिद कह रहा है वो दरअसल सरस्वती मंदिर है। बीते दिन एएसआई की टीम ने भोजशाला के मुख्य भवन के आठ ब्लाकों में से चार में खुदाई की। इस खुदाई में दीवार जैसी संरचना मिली है। केंद्रीय हाल से एक खंडित मूर्ति भी मिली है। उनका कहना है कि भोजशाला के अंदर से 50 फीट लंबी दीवार जैसा ढांचा मिला है। इस तरह की चार संरचनाएं मिली हैं। वक्त बीतने के साथ ही इस बात की उम्मीद जगी है कि और अधिक सबूत मिलेंगे। फिलहाल अभी एएसआई के पास आठ हफ्ते का समय है। पुरातत्व विभाग अभी उत्तरी और दक्षिणी किनारे पर खुदाई का काम कर रही है। बताया गया है कि तथ्यों के नष्ट होने के डर से श्रमिक धीरे-धीरे खुदाई कर रहे हैं और आहिस्ते से गाद को बाहर निकाल रहे हैं।

गोपाल शर्मा ने कहा कि कथित कमाल मौला मस्जिद के अंदर से भी कई शिलालेख मिले हैं, जिन्हें एएसआई की टीम बहुत ही सावधानी के साथ कागज पर ट्रेस कर रही है।

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