बिजली कंपनियों का निजीकरण होते ही असुरक्षित हो जाएगा विद्युत कर्मियों का भविष्य

मप्र की विद्युत कंपनियों के निजीकरण को रोकने एवं अन्य मांगों के समर्थन में मप्र विद्युत निजीकरण विरोधी संयुक्त मोर्चा के तत्वावधान में जबलपुर में शक्ति भवन बैरियर के समक्ष विरोध प्रदर्शन कर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ज्ञापन भेजा गया।

मप्र की विद्युत वितरण कंपनियों के निजीकरण पर रोक लगाने, आउटसोर्स कर्मियों की ठेकेदारी समाप्त कर संविलियन किये जाने तथा संविदा कर्मियो के नियमितिकरण के मुद्दे पर मप्र विद्युत निजीकरण विरोधी संयुक्त मोर्चा द्वारा सम्पूर्ण प्रदेश के जिला एवं संभागीय मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपे गये।

संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों ने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा सभी राज्य सरकारों को 20 सितम्बर 2020 को स्टैण्डर्ड बिडिंग डाक्यूमेंट प्रेषित कर 32 सप्ताह में विद्युत वितरण कंपनियों के निजीकरण प्रकिया पूर्ण करने हेतु निर्देश दिये गये हैं।

अगर बिजली कंपनियों का निजीकरण हो जाता है तो युवा वर्ग को बेरोजगारी का सामना करना पड़ेगा। साथ ही प्रदेश में कार्यरत् बिजली कर्मियो का भविष्य भी असुरक्षित हो जायेगा। संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों का कहना है कि यदि शीघ्र मांगों का निराकरण नहीं होता है तो प्रांतव्यापी आंदोलन किया जायेगा।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को प्रेषित ज्ञापन में प्रमुख रूप से तीन सूत्रीय मांगे रखी गई हैं। जिनमें प्रदेश की वितरण उत्पादन कंपनी एवं पारेषण कंपनियों का निजीकरण रोके जाने, आउटसोर्स कर्मियो को ठेकेदारी प्रथा से मुक्त कर विद्युत कंपनियों में संविलियन किया जाना एवं संविदा कर्मियो का नियमितिकरण प्रमुख है।

प्रदर्शन एवं ज्ञापन के दौरान मप्र बिजली कर्मचारी महासंघ, पावर एम्पलाईज एवं इंजिनियर्स एसोसियेशन, मप्र विद्युत मण्डल पत्रोपाधि अभियंता संघ, मप्र सेवानिवृत्त कर्मचारी महासंघ फेडेरशन, बिजली कर्मचारी संघ, पश्चिम क्षेत्र आरक्षित वर्ग अधिकारी-कर्मचारी संघ, तकनीकी कर्मचारी संघ, आउटसोर्स कर्मचारी संघ तथा पेंशनर एसोसियेशन के पदाधिकारी एवं विद्युत कर्मी मौजूद रहे।