Monday, May 6, 2024
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स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए भी तरस रहे एमपी के बिजली कर्मी, MPEBTKS ने की बड़ी मांग

वेतनवृद्धि, महंगाई भत्ता, क्रमोन्नति और पदोन्नति का इंतजार कर रहे विद्युत कार्मिकों को अब स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए भी प्रतीक्षा करनी पड़ रही है। बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियों में कार्मिकों की बेहद कमी के चलते कार्यरत कार्मिकों पर काम का खासा बोझ है। स्थिति इतनी विकट हो चुकी है कि बाबुओं को अधिकारियों का प्रभार सौंपा जा रहा है और अधिकारियों पर चार-चार कार्यालयों की जिम्मेदारी लाद दी गई है।

वहीं मैदानी क्षेत्रों में तैनात तकनीकी कर्मचारियों का जमकर शोषण किया जा रहा है। आउटसोर्स और संविदा कर्मियों के साथ ही नियमित तकनीकी कर्मचारियों का भी जमकर शोषण किया जा रहा है। एक-एक तकनीकी कर्मचारी से बिना सुविधा दिए अनेक तरह के कार्य कराए जा रहे हैं।  मैदानी कार्मिकों से नियमविरुद्ध और 16-16 घंटे तक अमानवीय रूप से कार्य कराने के कारण वे कंपनी प्रबंधन से बेहद खफा हैं।

साथ ही बेतहाशा कार्य के बोझ से दबे विद्युत कार्मिक अपने परिजनों के साथ समय ही नहीं बिता पा रहे हैं, यहां तक कि उन्हें साप्ताहिक अवकाश के लिए भी तरसना पड़ रहा है। इन सब से परेशान हो चुके कार्मिक अब स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन कर रहे हैं, लेकिन उनका आवेदन प्रतीक्षा सूची में डाल दिया जा रहा है।बताया जा रहा है कि पावर ट्रांसमिशन कंपनी में तो बड़ी संख्या में आवेदन पेंडिंग पड़े हुए हैं।

मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने तो कंपनी प्रबंधन से यहां तक मांग की है कि कर्मचारियों के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के आवेदन तत्काल स्वीकृत किये जाएं या फिर मैदानी कर्मचारियों को 60 वर्ष की उम्र में ही सेवानिवृत्त कर दिया जाए।

हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि कर्मचारियों की अत्यधिक कमी होने के बावजूद नए-नए उप केंद्रों का निर्माण किया जा रहा है। इन केंद्रों के लिए केवल अधिकारियों की भर्ती की जा रही है, जबकि तृतीय श्रेणी एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की भर्ती नहीं की जा रही है, जिससे कार्य करने में कठिनाई हो रही है।

इसके अलावा लगभग 20 वर्षों से तकनीकी कर्मचारियों को फ्रेंच बेनिफिट नहीं दिया जा रहा है। वहीं पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने 2019 ओवर टाइम का भुगतान नहीं किया है। पूरी निष्ठा से कार्य करने का बावजूद पूरा हक नहीं मिलने से कर्मचारियों में खासा आक्रोश है और वे वीआरएस के लिए आवेदन दे रहे हैं, लेकिन यहां भी कंपनी प्रबंधन उन्हें निराश कर रहा है।

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