मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियों में निजी अथवा ठेका कंपनियों के माध्यम से कार्यरत आउटसोर्स कर्मी, यूं तो नियमित लाइनमैनों के सहायक के रूप में नियुक्त किए गए थे। लेकिन नियमित लाइनमैनों की बेतहाशा कमी के चलते कंपनी प्रबंधन आउटसोर्स कर्मियों से नियम विरुद्ध करंट का कार्य कराने में भी गुरेज नहीं कर रहा।
विद्युत कंपनी प्रबंधन आउटसोर्स कर्मियों का संविलियन कर उन्हें नियमित कर्मचारियों की तरह सुविधाएं उपलब्ध कराकर करंट का कार्य कराए जाने की बजाए मैदानी अधिकारियों के माध्यम से कर्मियों पर नियमविरुद्ध दबाव बनाकर जोखिम के कार्यों में झौंक रहा है। कंपनी प्रबंधन इतना अमानवीय हो चुका है कि नियमविरुद्ध कार्य कराने के दौरान आउटसोर्स कर्मी के साथ होने वाली अनहोनी से तत्काल पल्ला झाड़ लेता है, वहीं ठेका कंपनी भी अपने कर्मी का उपचार कराने या वित्तीय सहायता देने के बजाए उसे उसके हाल पर छोड़ भाग खड़ी होती है।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि कार्यपालन अभियंता पाटन संभाग के अंतर्गत बेलखेड़ा डीसी के पास मेरे गांव 33/11 केवी सब स्टेशन में आउटसोर्स कर्मी ऑपरेटर शिवराज यादव रात लगभग 2 बजे बसेड़ी पंप लाइन को चालू कर रहा था। इसी दौरान जंपर से 11 हजार केवी का तार टूट कर आउटसोर्स कर्मी के कंधे पर आ गिरा। जिससे उसकी पीठ, पेट, दोनों पैर आदि करंट लगने की वजह से बुरी तरह से झुलस गए।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि ये घटना रात 2 बजे की है, उस समय सब स्टेशन में उसके सिवा कोई भी नहीं था। करंट से बुरी तरह झुलसने के बाद भी कर्मी ने बहुत हिम्मत नहीं हारी और फोन कर साथी हेल्पर को बुलाया। हेल्पर के द्वारा तत्काल बेलखेड़ा सरकारी हॉस्पिटल ले जाकर उसका उपचार कराया गया। उसके बाद सुबह जबलपुर के मेडिकल कॉलेज में उपचार के लिए भर्ती किया गया है।
संघ के मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, जेके कोस्टा, अजय कश्यप, विनय सिंह ठाकुर, अरुण मालवीय, इंद्रपाल सिंह, सुरेंद्र मेश्राम, जगदीश मेहरा, आजाद सकवार, टी डेविड, पीएन मिश्रा, शशि उपाध्याय, महेश पटेल, दशरथ शर्मा, अमीन अंसारी, मदन पटेल, राजेश यादव, वीरेंद्र रोहिताश, पुरुषोत्तम पटेल आदि पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी प्रबंधन से मांग की है कि क्रिस्टल कंपनी में कार्यरत ठेका कर्मी शिवराज यादव को सहायता राशि देकर उसका इलाज कराया जाए।