8 वर्षों में भी अधिकारी नहीं ले सके पदोन्नति का निर्णय, लिपिक संवर्ग से हो रहा सौतेला व्यवहार

सरकारी कर्मचारी पदोन्नति की आस में सेवानिवृत्त होते जा रहे हैं, लेकिन अधिकारी कोई भी सार्थक निर्णय नहीं ले पा रहे हैं।

मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग में लगभग 8 वर्षो से पदोन्नति नहीं हो रही है।

मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने एक विज्ञप्ति में बताया कि पदोन्नति के नाम पर श्रेणी-2 के लोक सेवकों को प्राचार्य 10+2 से सहायक संचालक शिक्षा, प्राचार्य हाईस्कूल से प्राचार्य 10+2 तथा व्याख्याता के पद से प्राचार्य हाईस्कूल के पद पर उच्च पद का प्रभार देने के आदेश जारी कर दिये गये हैं।

किन्तु श्रेणी-3 के लोकसेवक उच्च श्रेणी शिक्षक से व्याख्याता/प्रधानाध्यापक माध्यमिक शाला, सहायक शिक्षक से उच्च श्रेणी शिक्षक, माध्यमिक शिक्षक से उच्च माध्यमिक शिक्षक, प्राथमिक शिक्षक से माध्यमिक शिक्षक एवं लिपिक संवर्ग के कर्मचारियों के साथ शिक्षा विभाग द्वारा सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।

शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने उच्च पद का प्रभार देने के आदेश आज तक जारी नहीं किये हैं, जिससे इस संवर्ग के लोकसेवक बिना पदोन्नति के ही सेवानिवृत्त हो जा रहे है। जिस कारण इस संवर्ग के लोकसेवकों में भारी आक्रोश एवं निराशा व्याप्त है।

संघ के योगेन्द्र दुबे, अवधेश तिवारी, मनोज राय द्वय, जवाहर केवट, नरेद्र सेन, शहजाद द्विवेदी, रजनीश पाण्डे, दालचन्द पासी, अरूण दुबे, विनोद साहू, केजी पाठक, प्रदीप राय, अजय सिंह ठाकुर, केके तिवारी, होरीलाल नाथ, हर्ष मनोज दुबे, बलराम नामदेव, नेतराम झारिया, नरेन्द्र शुक्ला, दीपक पटैल, राजू पाठक, मनोज पाटकर आदि ने आयुक्त लोक शिक्षण मप्र भोपाल से मांग की है कि श्रेणी-3 अन्तर्गत आने वाले समस्त संवर्ग के लोक सेवकों को भी उच्च पद का प्रभार दिये जाने के आदेश जारी किये जावे, अन्यथा संघ धरना प्रदर्शन, आन्दोलन हेतु बाध्य होगा, जिसका संपूर्ण उत्तरदायित्व शिक्षा विभाग का होगा।