Sunday, December 22, 2024
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दिल्ली हाई कोर्ट ने विकीपीडिया की याचिका पर आपत्ति जताई, अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को

नई दिल्ली (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने एक न्यूज एजेंसी को सरकार का प्रोपेगैंडा टूल बताने वाले विकीपीडिया के विवरण को संपादित करने वाले के नाम का खुलासा करने के सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती देने वाली विकीपीडिया की याचिका पर आपत्ति जताई है। चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले पर अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को करने का आदेश दिया।

आज सुनवाई के दौरान विकीपीडिया की ओर से पेश वकील अमित सिब्बल ने कहा कि विकीपीडिया विवरण संपादित करने वाले का विवरण नहीं बता सकता। ये उसकी निजता की नीति का हिस्सा है। तब कोर्ट ने कहा कि अगर आप नाम नहीं बताएंगे तो जिस व्यक्ति ने विवरण संपादित किया है, कोर्ट उसका रुख कैसे जान पाएगी। सुनवाई के दौरान न्यूज एजेंसी की ओर से पेश वकील ने कहा कि विकीपीडिया के पेज में कहा गया है कि जज ने ये धमकी दी है कि वे भारत सरकार को आदेश दे सकते हैं कि विकीपीडिया को देश में बंद कर दिया जाए। इस पर कोर्ट ने विकीपीडिया से कहा कि ये पेज हटाया जाना चाहिए था। आप जज को धमकी नहीं दे सकते हैं। आपको वो पेज हटाना होगा अन्यथा हम आपकी याचिका पर सुनवाई नहीं करेंगे। हम सिंगल जज को भी निर्देश देंगे कि वो आपका पक्ष नहीं सुनें। आप दुनिया के लिए शक्तिशाली हो सकते हैं लेकिन हम ऐसे देश में रहते हैं, जहां कानून का शासन है।

कोर्ट ने कहा कि आप एक सर्विस प्रोवाइडर हैं। आप न्यूज एजेंसी का विवरण संपादित करने वाले का खुलासा कीजिए। आप किसी को बदनाम करने का प्लेटफार्म नहीं हो सकते हैं। इससे आपको सुरक्षा नहीं मिल सकती है। तब विकीपीडिया के वकील ने इस पर निर्देश लेकर सूचित करने के लिए समय देने की मांग की, जिसके बाद कोर्ट ने 16 अक्टूबर को सुनवाई करने का आदेश दिया।

इससे पहले 5 सितंबर को सिंगल बेंच ने विकीपीडिया के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का नोटिस जारी किया था। जस्टिस नवीन चावला की सिंगल बेंच ने कहा था कि अगर आगे कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं होगा तो हम कड़ाई से निपटेंगे। सिंगल बेंच ने 25 अक्टूबर को अगली सुनवाई की तिथि नियत करते हुए विकीपीडिया के प्रतिनिधि को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था। न्यूज एजेंसी ने आरोप लगाया था कि विकीपीडिया वेबसाइट पर उनके बारे में सूचना दी गई है कि वो सरकार का प्रोपेगैंडा टूल है। इस पर हाई कोर्ट ने विकीपीडिया को आदेश दिया था कि वो इस सूचना को लिखने वाले यूजर का खुलासा करें लेकिन विकीपीडिया ने यूजर का खुलासा नहीं किया।

सुनवाई के दौरान पूर्व के आदेश का विकीपीडिया की ओर से पालन नहीं होने पर हाई कोर्ट नाराज हो गया और कहा कि अगर आगे भी आदेश का पालन नहीं किया गया तो वो कड़े कदम उठाएगा। सुनवाई के दौरान विकीपीडिया ने कहा कि उसका मुख्यालय भारत में नहीं है। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि आपका मुख्यालय भारत में नहीं, इसका कोई मतलब नहीं है। हम भारत में आपके व्यवसाय को बंद करने के लिए सरकार से आग्रह करने पर विचार करेंगे। अगर आप देश के कानून का पालन नहीं करेंगे तो आपको यहां काम नहीं करना चाहिए।

दरअसल, न्यूज एजेंसी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि विकीपीडिया ने उसके बारे में अपमानजनक कंटेंट पोस्ट करने की अनुमति दी है। विकीपीडिया में न्यूज एजेंसी का विवरण देते हुए लिखा गया है कि वो सरकार का प्रोपेगैंडा टूल है। इससे न्यूज एजेंसी की छवि खराब हो रही है। न्यूज एजेंसी की ओर से पेश वकील सिद्धांत कुमार ने मांग की कि उसके संबंध में ऐसा विवरण पोस्ट करने वाले यूजर की पहचान का खुलासा किया जाए। विकीपीडिया की ओर से वकील टाईन अब्राहम ने कहा है कि यूजर की किसी भी सूचना को संपादित करता है। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसा होने के बावजूद विकीपीडिया अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता है। हाई कोर्ट ने साफ किया कि विकीपीडिया को देश के कानून का पालन करना होगा।

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