कोलकाता (हि.स.)। तृणमूल कांग्रेस के बागी नेता और पूर्व राज्यसभा सदस्य डॉ. शांतनु सेन को पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल से राज्य सरकार द्वारा नामित सदस्य के पद से हटा दिया गया है। डॉ. सेन, जो पेशे से डॉक्टर हैं, अगस्त में कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला जूनियर डॉक्टर के साथ हुई दुष्कर्म और हत्या की घटना के बाद पार्टी के खिलाफ मुखर हो गए थे। इस दौरान उनके बयानों से तृणमूल कांग्रेस को शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी।
पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष और तृणमूल विधायक डॉ. सुदीप्त रॉय, जो खुद भी एक डॉक्टर हैं, ने पिछले महीने राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को पत्र लिखकर डॉ. सेन को पद से हटाने की सिफारिश की थी। उन्होंने पत्र में कहा कि डॉ. सेन इस वर्ष एक जनवरी से काउंसिल की छह लगातार बैठकों में बिना किसी वैध कारण के अनुपस्थित रहे। इस आधार पर उन्हें पद से हटाने का अनुरोध किया गया था।
स्वास्थ्य विभाग ने डॉ. रॉय के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए शुक्रवार देर शाम डॉ. सेन को पद से हटाने की घोषणा की। हालांकि, अभी तक उनके स्थान पर नए सदस्य की नियुक्ति नहीं हुई है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, अगले सप्ताह तक नए नाम की घोषणा की जा सकती है।
आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज की घटना के बाद से ही डॉ. सुदीप्त रॉय और डॉ. सेन के बीच तनाव शुरू हो गया था। डॉ. सेन ने राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था के कुछ हिस्सों की आलोचना की थी। इसके बाद मामले ने तब और तूल पकड़ा जब आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में वित्तीय अनियमितताओं की केंद्रीय एजेंसी जांच शुरू हुई। इस जांच के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने डॉ. रॉय के घर और अस्पताल पर छापेमारी की थी और उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया था।
डॉ.शांतनु सेन की बगावती भूमिका और पार्टी विरोधी बयानबाजी ने तृणमूल कांग्रेस के भीतर असहज स्थिति पैदा कर दी थी। अब उनकी जगह कौन लेगा, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।