Thursday, January 9, 2025
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एआई और ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकियां अब एक विकल्प नहीं बल्कि एकमात्र विकल्प हैं: डॉ. जितेंद्र सिंह

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ब्लॉकचेन तकनीक अब वैकल्पिक नहीं रह गई हैं, बल्कि भविष्य के लिए एकमात्र व्यवहार्य विकल्प हैं। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री में साइबर सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ब्लॉकचेन पर राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए डॉ. सिंह ने कहा, “चुनौती इन तकनीकों का मानव जाति के लाभ के लिए सर्वोत्तम उपयोग करने में है।”

डॉ. सिंह ने स्वीकार किया कि साइबर सुरक्षा और अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों द्वारा उत्पन्न चुनौतियां वैश्विक चिंता का विषय हैं, और भारत भी इसका अपवाद नहीं है। उन्होंने पिछले दशक में प्रौद्योगिकी विकास की तीव्र गति का उल्लेख किया, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नवाचार और तकनीकी उन्नति के दृष्टिकोण से प्रेरित है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रौद्योगिकी एक दोधारी तलवार है, जिसमें दुर्भावनापूर्ण तत्व संभावित रूप से इनकी प्रगति का फायदा उठा सकते हैं।

डॉ. सिंह ने कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री ने नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए अपने मंत्रालय द्वारा की गई अग्रणी पहलों का भी उल्लेख किया। इसका एक उल्लेखनीय उदाहरण पेंशन विभाग है, जो डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र जारी करने के लिए चेहरा पहचानने (फेस रिकग्निशन) तकनीक को अपनाने वाले पहले विभागों में से था। यह पहल पेंशनभोगियों को बैंकों या सरकारी कार्यालयों में भौतिक उपस्थिति के बिना घर पर ही अपने प्रमाण पत्र प्राप्त करने में सक्षम बनाती है।

डॉ. सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि प्रौद्योगिकी द्वारा उत्पन्न चुनौतियों का समाधान प्रौद्योगिकी के माध्यम से ही किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एआई को मनुष्यों का सहायक होना चाहिए, न कि वर्चस्व का साधन। प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) से एक उदाहरण साझा करते हुए, डॉ. सिंह ने कहा कि एआई ने शिकायत समाधान को काफी हद तक बढ़ाया है, लेकिन मानवीय भावनात्मक बुद्धिमत्ता अभी भी महत्वपूर्ण है। लगभग 95 प्रतिशत शिकायत निपटारा दर हासिल करने के बावजूद, नागरिक कभी-कभी असंतुष्ट महसूस करते हैं, जिससे इन चिंताओं को दूर करने के लिए दिसंबर 2023 में एक मानव डेस्क की स्थापना की गई।

डॉ. सिंह ने पिछले दशक में स्टार्टअप्स के विकास पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत में स्टार्टअप्स की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो मात्र 350 से बढ़कर लगभग 1,900 हो गई है। उन्होंने तालमेल और सहयोग की आवश्यकता पर जोर देते हुए सभी हितधारकों को असामाजिक तत्वों और निहित स्वार्थों से निपटने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया, जिसका अंतिम लक्ष्य 2047 तक भारत को ‘विकसित भारत’ बनाना है। उन्होंने इस लक्ष्य को प्राप्त करने में पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री जैसे मंचों की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की है।

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