ढाका (हि.स.)। बांग्लादेश में पिछले कई दिनों से चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच नाटकीय घटनाक्रम में प्रधानमंत्री शेख हसीना का तख्तपलट होने और देश छोड़ने के बाद जहां सेना ने सत्ता संभाल ली है। वहीं देशभर में अराजकता और हिंसा के बीच राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को तत्काल रिहा करने के आदेश दिए हैं।
बांग्लादेश के राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, “बैठक में सर्वसम्मति से बीएनपी अध्यक्ष बेगम खालिदा जिया को रिहा करने का फैसला किया गया। इसके अलावा, छात्र भेदभाव विरोधी आंदोलन और हाल की घटनाओं से संबंधित विभिन्न मामलों में गिरफ्तार किए गए सभी बंदियों को रिहा करने का फैसला किया गया। सांप्रदायिक सौहार्द को किसी भी तरह से बाधित न होने देने के लिए भी मजबूत सहमति बनी।
राष्ट्रपति की तरफ से जारी विज्ञप्ति के अनुसार अंतरिम सरकार के गठन के उद्देश्य से राष्ट्रपति मोहम्मद सहाबुद्दीन, थल सेनाध्यक्ष, नौसेना और वायु सेना के प्रमुख और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं और नागरिक की अध्यक्षता में बंगभवन में एक बैठक आयोजित की गई। देश के समाज प्रतिनिधि बैठक में आरक्षण विरोधी आंदोलन में मारे गए लोगों की याद में शोक प्रस्ताव लिया गया और उनकी दिवंगत आत्माओं की शांति और क्षमा के लिए प्रार्थना की गई। बैठक में तुरंत अंतरिम सरकार बनाने का फैसला किया गया। बैठक में सभी से देश में कानून-व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए धैर्य और सहनशीलता बरतने का आग्रह किया गया और सेना को लूटपाट और हिंसक गतिविधियों से रोकने के लिए सख्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया।
बैठक में सर्वसम्मति से बीएनपी अध्यक्ष बेगम खालिदा जिया को तुरंत रिहा करने का निर्णय लिया गया। इसके अलावा, भेदभाव विरोधी आंदोलन और हाल ही में विभिन्न मामलों में हिरासत में लिए गए सभी कैदियों को रिहा करने का निर्णय लिया गया। बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी कि समुदाय को किसी भी तरह से नष्ट नहीं किया जाना चाहिए।
इससे पहले बांग्लादेश में सोमवार को बवाल बढ़ने के बाद शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और वो देश छोड़कर भारत पहुंच गई हैं। ज्ञात रहे कि गाजियाबाद के हिंडन एयरफोर्स स्टेशन के सेफ हाउस में रखा गया है। इस समय बांग्लादेश के हालत अस्थिर बने हुए हैं। कई शहरों में छात्रों का प्रदर्शन देखा जा रहा है।
बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था के मुद्दे पर शुरू हुआ बवाल शुरू हुआ। और ऐसा नहीं है कि ये अचानक से आज-कल में ही शुरू हुआ। पहले भी इसको लेकर विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं। प्रदर्शनकारी इस कथित विवादास्पद रिजर्वेशन सिस्टम को खत्म करने की मांग कर थे, जिसके तहत बांग्लादेश मुक्ति संग्राम (1971) में हिस्सा लेने वाले लड़ाकों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में 30% आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है।