संस्कार: गौरीशंकर वैश्य विनम्र

गौरीशंकर वैश्य विनम्र
117 आदिलनगर. विकासनगर
लखनऊ-226022

अब आज की पीढ़ी के संस्कार देख लो।
ऊँचे भवन का खोखला आधार देख लो।

कहते हैं हैलो – हाय, बाय – बाय सभी से
भूले चरणस्पर्श, नमस्कार देख लो।

दुष्कर्म, ठगी, लूट, मारकाट, नित्य प्रति
विज्ञापनों से हैं पटे अखबार देख लो।

खाद्यान्न, दूध, फल, दवा में घोर मिलावट
चलता खुला अनीति का, व्यापार देख लो।

संयुक्त थे कुटुंब, तब परस्पर जुड़ाव था
इकाईयों में टूटते, परिवार देख लो।

स्वार्थ, कपट, देशद्रोह, भ्रष्ट आचरण
बहुरूपिणी सत्ता का चमत्कार देख लो।

जनता ही पिसी जा रही राजकाज में
राजाओं के सजे हुए, दरबार देख लो।