तामील: नंदिता तनुजा

नंदिता तनुजा

हद से ज्यादा
जो मुझे बेहद तुमसे है
वही इश्क़ मुझमे शामिल है

हद में रहकर
जो मुझमें बेहद यकीन है
वही इश्क़ मेरी तामील है

हदों में बेहद
जो मुझे सुकूँ तुमसे है
वही इश्क़ तेरा साहिल है

कि रात कितना घना अंधेरा लिए हो
सुबह रौशनी सच की नज़र आ जाती है