माँ दुर्गा की नौ दिवसीय साधना का पर्व आषाढ़ गुप्त नवरात्र कल 3 जुलाई से शुरू हो रही है, जो 10 जुलाई तक रहेगी। इस दिन राज योग व कुमार योग भी बन रहा है। ऐसा माना जाता है गुप्त नवरात्र में की गई मंत्र साधना कभी भी निष्फल नहीं जाती। ज्योतिषाचार्य डॉ अर्जुन पांडेय ने बताया कि हिंदू वर्ष में चार नवरात्र आते हैं, चैत्र नवरात्र, आषाढ़ के गुप्त नवरात्र, शारदीय नवरात्र व माघ के गुप्त नवरात्र। नवरात्र में दूसरे यानि आषाढ़ नवरात्र में की गई साधना से दस गुना ज्यादा फल मिलता है। इसके चलते जो लोग सिद्धि प्राप्ति के लिए गुप्त नवरात्र को ही चुनते हैं।
महाकाल संहिता के अनुसार, सतयुग में चैत्र नवरात्र, द्वापर में माघ नवरात्र, कलियुग में अश्विनी नवरात्र और त्रेतायुग में आषाढ़ नवरात्र की प्रमुखता रहती है। प्रतिपदा से नवमी तक महालक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है। देवी भागवत के अनुसार गुप्त नवरात्र में दस महाविधाओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्र में दुर्गा सप्तशती का पाठ, बीज मंत्रों का जाप व शक्ति की साधना की जाती है। बेहद कड़े नियम के साथ शक्तियों की प्राप्ति के लिए श्रद्धालु व्रत व पूजा-अर्चना करते हैं। गुप्त नवरात्र में साधक 10 महाविद्या की तंत्र साधना के लिए माँ काली, तारा देवी, त्रिपुर-सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुरी भैरवी, माँ धूमावती, माँ बगलामुखी, माँ कमला की आराधना करेंगे। 4 जुलाई को रवि योग व गुरु पुष्य योग, 5 व 6 जुलाई को रवि योग, 7 जुलाई को रवि योग व सर्वार्थ सिद्धि योग 8, 10 जुलाई को रवि योग का संयोग बन रहा है।
गुप्त नवरात्र के दौरान अन्य नवरात्र की तरह ही पूजा करनी चाहिए। नौ दिनों के उपवास का संकल्प लेते हुए प्रतिप्रदा यानि पहले दिन घटस्थापना करनी चाहिए। घटस्थापना के बाद प्रतिदिन सुबह और शाम के समय माँ भगवती की पूजा करते हुए मंत्रों की साधना करनी चाहिए। अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन के साथ नवरात्र व्रत का उद्यापन करना चाहिए।