बैंकॉक में आयोजित 16वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि
मैं भारत और आसियान के बीच इंडो-पैसिफ़िक आउटलुक के आपसी समन्वय का स्वागत करता हूँ। भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी हमारे इंडो-पैसिफिक विज़न का एक महत्वपूर्ण भाग है। आसियान हमारी एक्ट ईस्ट पॉलिसी का मर्म है और सदैव रहेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इंटीग्रेटेड, संगठित और आर्थिक रूप से विकासशील आसियान भारत के बुनियादी हित में है। हम और मज़बूत सरफेस, मेरीटाइम और एयर-कनेक्टिविटी तथा डिजिटल-लिंक के माध्यम से अपनी साझेदारी को और बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। फिजिकल और डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए 1 बिलियन डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट उपयोगी होगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारा इरादा अध्ययन, अनुसंधान, व्यापार और टूरिज्म के लिए लोगों के आवागमन को बहुत बढ़ाने का है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत आसियान के साथ आपसी हितों के क्षेत्र में साझेदारी बढ़ाने के लिए तैयार हैं। पिछले साल कमेमोरेटिव समिट तथा सिंगापुर में इनफॉर्मल समिट में लिए गए निर्णयों को लागू करने से हमारे बीच और घनिष्ठता आई है। कृषि, विज्ञान, रिसर्च, आईसीटी और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में कैपेसिटी बिल्डिंग और पार्टनरशिप को और बढ़ाने के लिए हम तैयार हैं। मैं हाल ही में आसियान-इंडिया एफटीए की समीक्षा के निर्णय का स्वागत करता हूँ। इससे हमारे आर्थिक सम्बन्ध न सिर्फ़ और मज़बूत बनेंगे बल्कि हमारा व्यापार भी और बैलेंस्ड होगा। मेरीटाइम सुरक्षा, ब्लू इकॉनमी और मानवीय सहायता के क्षेत्रों में भी अपनी साझेदारी को हम मज़बूत बनाना चाहते हैं। योर एक्सेलेंसीज़ के विचारों को सुनने के बाद मैं कुछ पहलुओं पर विस्तार से बात करना चाहूँगा। मैं फिर एक बार थाईलैंड का और आप सबका ह्रदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूँ।