27 जुलाई को गुरु पूर्णिमा के दिन सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण होगा। 27 और 28 जुलाई की दरम्यानी रात लगने वाले चंद्रग्रहण में करीब 1 घंटे 43 मिनट का खग्रास रहेगा। ग्रहण की शुरुआत 27 जुलाई की मध्यरात्रि में 11 बजकर 54 मिनट पर होगा। इसका मोक्षकाल यानी अंत 28 जुलाई की सुबह 3 बजकर 49 मिनट पर होगा, जो 3 घंटे 53 मिनिट तक रहेगा। ग्रहण के समय ब्लड मून दिखाई देगा। ब्लड मून इसके रंग की वजह से कहा जाता है। चंद्रग्रहण के समय जब सूरज और चांद के बीच पृथ्वी आती है, तो सूरज की रोशनी रुक जाती है। पृथ्वी के वातावरण की वजह से रोशनी मुड़कर चांद पर पड़ती है और इस वजह से यह लाल नजर आएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि कहा इस दौरान चांद बेहद खूबसूरत दिखाई देगा।
वहीं ज्योर्तिविदों ने बताया कि यह सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण होगा। आमतौर पर ग्रहण एक या डेढ़ घंटे की अवधि के होते हैं, लेकिन ये कहा जा रहा है कि इतना लंबा चंद्रग्रहण इसके बाद सदी के आखिर तक दिखाई नहीं देगा। ग्रहण वाले दिन ही यानी 27 जुलाई को गुरू पूर्णिमा भी है, इसलिये इसका महत्व बढ़ जाता है। ग्रहण स्पर्श रात्रि 11:54 पर, ग्रहण मध्य रात्रि 12:52 पर तथा ग्रहण का मोक्ष 3:49 मिनिट होगा। ग्रहण पर्व काल 3 घंटा 53 मिनिट तक रहेगा। ग्रहण का सूतक 27 जुलाई को दिन में 2 बजकर 54 मिनिट पर लगेगा, किन्तु बालक, वृद्ध, रोगियों के लिए एक पहर का ही सूतक होता है, जो कि रात्रि 8:54 मिनिट से शुरू होगा। गुरु पूर्णिमा को चंद्रग्रहण होने के कारण आपको गुरु पूजन सूतक लगने से पहले ही करना चाहिए। क्योंकि ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक लगेगा इसलिए बेहतर होगा कि आप दोपहर ढाई बजे तक गुरु पूजन और मंदिर दर्शन कर लें। दोपहर बाद मंदिरों के कपाट बंद हो जाएंगे।
ज्योतिर्विदों का कहना है कि इस ग्रहण का प्रभाव राशियों पर भी पड़ेगा। ये चंद्र ग्रहण कई राशियों के लिए लाभकारी है तो कई राशियों के लिए फलदायक है। जैसे वृष, कर्क, कन्या और धनु राशि वालों के लिए शुभ रहेगा। मेष, सिंह, वृश्चिक और मीन राशि वालों के लिए यह ग्रहण सामान्य रहेगा। मिथुन, तुला, मकर और कुंभ राशि वालों के लिए यह ग्रहण अशुभ हो सकता है।
तुलसी के पत्ते से करें ग्रहण का असर कम-
हिंदू धर्म में तुलसी के पत्ते का विशेष महत्व है। ज्योतिषों के अनुसार तुलसी की पत्ती रखे पानी से नहाने से ग्रहण का प्रभाव खत्म हो जाता है। वहीं सूतक लगने के पूर्व खाद्य पदार्थों में तुलसी की पत्ती डाल दें, जिससे ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव खाद्य पदार्थों पर नहीं पड़ेगा और सूतक का असर भी नहीं होगा। पीने के पानी में भी तुलसी की पत्तियां डाल दें, इससे सूतक और ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव पानी पर नहीं होगा।