दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग ने चार संस्करणों वाली रिपोर्ट का मुख्य भाग 29.01.2020 को उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री में दायर कर दिया। इसमें वेतन, पेंशन और भत्तों से विषय शामिल हैं। आयोग का गठन अखिल भारतीय न्यायाधीश एसोसिएशन के मामले उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार किया गया था और विधि और न्याय मंत्रालय ने 16.11.2017 को इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की थी। उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी.वी.रेड्डी इसके अध्यक्ष हैं, केरल उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर.वसंत सदस्य और दिल्ली उच्च न्यायिक सेवा के जिला न्यायाधीश विनय कुमार गुप्ता आयोग के सदस्य सचिव हैं। आयोग ने 2018 में अंतरिम रिपोर्ट दी थी।
इसकी मुख्य सिफारिशें हैं:
वेतन-
आयोग ने विभ्रिन्न वैकल्पिक कार्य पद्धतियों पर विचार करके पे मैट्रिक्स अपनाने की सिफारिश की जिसे वर्तमान वेतन के 2.81 के गुणक को लागू करके निकाला गया है, जो उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन में वृद्धि के प्रतिशत के अनुरूप है। 3% संचयी लागू किया गया है। आयोग द्वारा निर्धारित संशोधित वेतन ढांचे के अनुसार, जूनियर सिविल न्यायाधीश, प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट जिनका शुरूआती वेतन 27,700 रुपये है उन्हें अब 77,840 रुपये मिलेंगे। वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश के अगले उच्च पद का वेतन 1,11,000 रुपये से और जिला न्यायाधीश का वेतन 1,44,840 रुपये से शुरू होगा। जिला न्यायाधीश (एसटीएस) का अधिकतम वेतन 2,24,100 रुपये होगा। चयन ग्रेड और सुपर टाइम स्केल जिला न्यायाधीशों का प्रतिशत क्रमश: 10 प्रतिशत और 5 प्रतिशत बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया है। संशोधित वेतन और पेंशन 1.1.2016 से प्रभावी होगी। अंतरिम राहत का समायोजन करने के बाद कैलेंडर वर्ष 2020 के दौरान बकाया राशि का भुगतान किया जाएगा।
पेंशन-
प्रस्तावित संशोधित वेतनमानों के आधार पर पिछले वेतन के 50 प्रतिशत पर पेंशन की 1.1.2016 को सिफारिश की गई। परिवार की पेंशन अंतिम वेतन का 30 प्रतिशत होगी। अतिरिक्त पेंशन 75 वर्ष की आयु पूरा करने (80 वर्ष के बजाय) पर शुरू होगी और विभिन्न चरणों पर प्रतिशत बढ़ेगा। वर्तमान में सेवानिवृत्ति गेच्यूइटी और मृत्यु गेच्यूइटी की वर्तमान सीमा 25 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी जब डीए 50 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा। पेंशनधारियों अथवा परिवार के पेंशनधारियों की सहायता के लिए जिला न्यायाधीश द्वारा केंद्रीय अधिकारियों को मनोनीत किया जाएगा। नई पेंशन योजना (एनपीएस) को जारी नहीं रखने की सिफारिश की गई है जो उन लोगों पर लागू होती है जिन्होंने 2004 के दौरान या उसके बाद सेवा में प्रवेश किया है। वृद्धावस्था पेंशन प्रणाली, जो अधिक लाभदायक है उससे फिर से शुरू किया जाएगा।
भत्ते-
वर्तमान भत्तों को उपयुक्त तरीके से बढ़ाया जाएगा और कुछ नई बातों को शामिल किया गया है। फिर भी सीसीए के जारी नहीं रहने का प्रस्ताव है।
चिकित्सा सुविधाओं में सुधार और अदायगी की प्रक्रिया सरल बनाने की सिफारिशें की गईं हैं। पेंशनधारियों और पारिवारिक पेंशन लेने वालों को चिकित्सा सुविधाएं दी जाएंगी।
कुछ नये भत्ते जैसे बच्चों की शिक्षा से जुड़े भत्ते, होम ऑर्डरली भत्ते का प्रस्ताव रखा गया है। सभी राज्यों में एचआरए समान रूप से बढ़ाने का प्रस्ताव है। सरकारी मकानों का उचित रखाव सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की सिफारिश की गई है। आयोग द्वारा की गई सिफारिशें देशभर के न्यायिक अधिकारियों पर लागू होंगी। उच्चतम न्यायालय साझेदारों को सुनने के बाद सिफारिशों के कार्यान्वयन के संबंध में निर्देश जारी करेगा।