प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज रक्षा प्रदर्शनी में कहा कि भारत का हजारों वर्ष का इतिहास यह दिखाता है कि हमने किसी के भू-भाग को लेने की इच्छा नहीं की है। शांति के प्रति देश की सरकार की प्रतिबद्धता उतनी ही है जितनी की अपने लोगों तथा सीमाओं की रक्षा के लिए और इसके लिए सशस्त्र सेनाओं को हथियारों से लैस करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे। तमिलनाडु के तिरुवेदांती में आयोजित रक्षा प्रदर्शनी का औपचारिक उद्घाटन करते हुए मोदी ने कहा कि घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए रक्षा खरीद प्रक्रिया में कई विशेष प्रावधान जोड़े गए हैं। रक्षा विनिर्माण लाइसेंस पर, रक्षा ऑफसेट पर, रक्षा निर्यात मंजूरी पर और रक्षा विनिर्माण में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश और रक्षा खरीद प्रणाली में सुधार पर हमने अनेक कदम उठाए हैं।
उन्होंने कहा, शांति के लिए हमारी प्रतिबद्धता उतनी ही मजबूत है जितनी की हमारे लोगों और सीमाओं की रक्षा के लिए हमारी दृढ़ता। इसके लिए रणनीतिक रूप से स्वतंत्र रक्षा उद्योग परिसर की स्थापना करने सहित सशस्त्र सेनाओं को हथियारों से लैस करने के लिए हर कदम उठाने को हम तैयार हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि मई 2014 तक कुल 118 निर्यात अनुमति दी गयी थी जिसकी कुल कीमत 57.7 करोड़ डॉलर थी। चार साल से भी कम समय में हमने निर्यात की और 794 अनुमति दी है, जिसकी कुल कीमत 1.3 अरब डॉलर से भी ज्यादा है। मई, 2014 में, रक्षा निर्यात अनुमति की कुल संख्या 118 रही, जिसका कुल मूल्य 577 मिलियन डॉलर था। चार वर्ष से भी कम समय में, हमने 1.3 अरब डॉलर मूल्य की 794 निर्यात अनुमति जारी की। वर्ष 2007 से 2013 तक, नियोजित ऑफसेट कार्य 1.24 अरब डॉलर रहा जिसमें से केवल 0.79 अरब डॉलर मूल्य के ऑफसेट वास्तव में अदा किए गए। यह केवल करीब 63 प्रतिशत उपलब्धि दर है।