देश के फार्मा रेग्युलेटर एनपीपीए (नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी) की रिपोर्ट में एक बड़ा खुलासा हुआ है कि दिल्ली-एनसीआर के निजी अस्पताल दवा, सीरिंज और अन्य दूसरे कंज्यूमेबल्स और डायग्नोस्टिक पर 1737 प्रतिशत तक मुनाफा कमा रहे हैं। एनपीपीए ने यह अध्ययन 4 बड़े और नामी अस्पतालों पर किया है। एनपीपीए ने यह रिपोर्ट अपनी वेबसाइट पर भी जारी की है।
ऐसे ठग रहे हैं अस्पताल-
* वे इंडस्ट्री से ऐसा करवाने में कामयाब भी हो जाते हैं।
* एनपीपीए का कहना है कि यह मार्केट को विकृत करने का काम कर रहे हैं।
* सिर्फ अपने फायदे के लिए एमआरपी से खिलवाड़ करना साफ तौर पर मार्केट के नियमों का उल्लंघन है।
* इसमें इंडस्ट्री और अस्पतालों का तो फायदा है, लेकिन मरीजों की जेब बुरी तरह से कट रही है।
* एनपीपीए का कहना है कि दवा, मेडिकल डिवाइस और डायग्नोसिटक का बिल मरीजों के कुल खर्च का करीब 46 फीसदी होता है।
* मरीज जब अस्पताल जाता है तो उनके द्वारा जो पैकेज बताया जाता है, उसमें ये खर्च नहीं जुड़े होते हैं।
* मरीजों को तो अस्पताल के पैकेज से करीब दोगुना तक खर्च करना पड़ता है और उसका पूरा बजट बिगड़ जाता है।
* रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अस्पताल दवा या मेडिकल डिवाइस बनाने वाली कंपनियों से प्रोडक्ट खरीदकर ये अस्पताल अपने हिसाब से एमआरपी तय करते हैं।
* इसी एमआरपी में सैंकड़ों गुना का अंतर होता है।
* अस्पताल ये प्रोडक्ट अपनी फॉर्मेसी के जरिए मरीजों को बेचते हैं।
* बाहर से दवा या मेडिकल डिवाइस खरीदने की नहीं मिलती इजाजत।
मरीजों को बाहर की फॉर्मेसी से दवा या मेडिकल डिवाइस खरीदकर लाने की इजाजत नहीं होती है।