भारतीय नौसेना ने डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू वेसल (डीएसआरवी) और सहायक उपकरणों के साथ एक सबमरीन बचाव प्रणाली का प्रारंभ किया है। समुद्र में संकटग्रस्त पनडुब्बी के स्थिति का पता लगाने के लिए इस प्रणाली में एक साइड स्कैन सोनार लगा हुआ है जिससे दूरस्थ संचालित वाहन (आरओवी) की मदद से कंटेनरों को भेजकर आपातकालीन जीवन सहायता तत्काल प्रदान की जा सके और इसके बाद डीएसआरवी का उपयोग करके पनडुब्बी के दल को बचाया जा सके। एक सबमरीन के दुर्घटना में, जीवन की रक्षा के लिए सबसे आवश्यक त्वरित कार्यवाही होती है। प्रारंभिक संग्रहण सुनिश्चित करने के लिए इस प्रणाली को एक फ्लाईवे कनफिगरेशन हासिल है जो कि इसे राहत प्रणाली को परिवहन द्वारा बेस से हवा, भूमि, समुद्री जहाजों का उपयोग करके संकटग्रस्त पनडुब्बी के वास्तविक स्थान तक पहुंचाने में मदद करता है।
भारतीय डीएसआरवी में एक संकतग्रस्त पनडुब्बी (DISSUB) से कर्मचारियों को 650 मीटर की गहराई तक पहुंचकर बचाने की क्षमता है तथा यह प्रौद्योगिकी और क्षमताओं के मामले में आधुनिक है। हमारी पनडुब्बियों की अनूठी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इसका डिज़ाइन और आपूर्ति मैसर्स जेम्स फिशेश डिफेंस, यूके द्वारा किया गया है। पनडुब्बी के साथ आकस्मिक घटना होने पर उच्च परिचालन उपलब्धता और जल्द प्रतिक्रिया और बाहुल्यता प्रदान करने के लिए हमने दो प्रणालियों का आदेश दिया है जो क्रमश: भारत के पश्चिम और पूर्वी तट पर अवस्थित होंगे।
यह बचाव प्रणाली हाल ही में व्यापक समुद्री परीक्षणों से गुजरा है जिसमें इसने कई रिकॉर्ड स्थापित किए हैं। हमारे डीएसआरवी ने 666 मीटर से अधिक गोता लगाया, रिमोट ऑपरेशंस वाहन (आरओवी) ने 750 मीटर गोता लगाया जबकि साइड स्कैन सोनार ने 650 मीटर तक गोता लगाया। समुद्र के अंदर पनडुब्बी से डीएसआरवी तक कर्मचारियों के स्थानांतरण के साथ ही विभिन्न प्रकार की पनडुब्बियों के साथ लाइव समागम की व्यवस्था भी हासिल की गई है, जिसका अनुकरण पनडुब्बी बचाव में किया जा सकता है। इस क्षमता के साथ, भारत उन चुनिंदा राष्ट्रों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास यह अद्वितीय क्षमता है और अब हम न केवल अपनी पनडुब्बियों को सुरक्षा कवर प्रदान करने की स्थिति में हैं बल्कि आईओआर और उससे अलग अन्य मित्र देशों को भी सुरक्षा कवर प्रदान करने की स्थिति में हैं। हमारा विजन सबमरिन बचाव सेवाओं के लिए उत्कृष्टत क्षेत्रीय केंद्र के रूप में उभरना है। इस साल के अंत तक भारतीय नौसेना में डीएसआरवी के शामिल होने की संभावना है।