पति की दीर्घायु, अच्छे स्वास्थ्य और सौभाग्य के लिए विवाहित महिलाओं द्वारा निर्जला रहकर हरतालिका व्रत किया जाता है। इस व्रत को कुंवारी कन्याएं भी मनचाहा पति पाने के लिए करती हैं। इस बार व्रत की तिथि को लेकर लोग काफी असमंजस है। कुछ ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि इस बार हरतालिका व्रत 1 सितम्बर को है तो वहीं कुछ का कहना है कि 2 सितम्बर को है।
हालांकि देश के अधिकांश हिस्सों में यह व्रत रविवार 1 सितंबर को मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार सुहागिन स्त्रियां भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को यह व्रत रखती हैं, तृतीया तिथि 1 सितंबर रविवार को सुबह प्रातः 8 बजकर 26 मिनट से रात्रि 4 बजकर 56 मिनट तक रहेगी, वहीं 2 सितंबर को उदया तिथि चतुर्थी होगी। अतः हरतालिका व्रत पूजन रविवार को ही किया जाना शास्त्र सम्मत है। वहीं कुछ जानकार 2 सितंबर को इस व्रत को ज्यादा फलदायी कह रहे हैं। अतः इस बारे में आप अपने परिचित के पंडित से जानकारी लेकर व्रत करें, जो ज्यादा उचित होगा।
हरतालिका व्रत करने वाली स्त्रियां इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के साथ ही भगवान गणेश का पूजन करती हैं। इस दिन पूजा घर को फूलों से सजाएं। एक चौकी पर केले के पत्ते रखकर शिवजी, पार्वती और गणेश की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें। देवी-देवताओं का आह्वान करें। विधिवत पूजन करें। सुहाग का सामान देवी माँ को चढ़ाएं। पूजा करें। इसके बाद कथा सुनें और रात्रि जागरण करें।