भारत में जून 2017 से जून 2018 के बीच 10 लाख डाॅलर या आज की दर पर 7.3 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति वाले धनवानों की संख्या में वृद्धि हुई है। देश में 7,300 नये पूंजीपति बने हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष जून के अंत में भारत में ऐसे पूंजीपतियों की संख्या 3.43 लाख तक पहुंच गयी है, वहीं इनकी कुल संपत्ति 6,000 अरब डॉलर के बराबर आंकी गयी है।
क्रेडिट सुइस ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट-2018 के अनुसार भारत सबसे अधिक एक अरब डाॅलर यानी 73.5 अरब रुपये से अधिक की संपत्ति वाली महिला अमीरों का देश है। समीक्षावधि के दौरान दुनिया की 18.6 प्रतिशत महिला अरबपति भारत में थीं।
क्रेडिट सुइस ग्लोबल वेल्थ की रिपोर्ट में कहा गया है कि जून 2018 तक देश में 10 लाख डाॅलर या उससे अधिक की हैसियत वाले धनवानों की कुल संख्या 3,43,000 रहने का अनुमान है। पिछले एक वर्ष में इस श्रेणी के लोगों की संख्या में 7,300 की वृद्धि हुई है। नये धनाढ़्यों में 3,400 लोगों की संपत्ति पांच करोड़ डॉलर (करीब 36.5 करोड़ रुपये) और 1,500 लोगों की संपत्ति 10 करोड़ डॉलर (करीब 73 करोड़ रुपये) से अधिक है। इस अवधि में देश की संपत्ति में 2.6 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 6,000 अरब डॉलर रही।
हालांकि देश में प्रति वयस्क संपत्ति 7,020 डॉलर पर ही बनी रही। इसकी अहम वजह रुपये का बढ़ना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2023 तक भारत में धनाढ़्यों की संख्या और गरीब-अमीर का फर्क बढ़ेगा। उस समय तक के बीच असमानता 53 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने की उम्मीद है। देश में ऐसे अमीरों की संख्या 5,26,000 होगी, जो 8,800 अरब डॉलर की संपत्ति के मालिक होंगे तथा अमीर-गरीब की खाई 53 प्रतिशत गहरी हो जायेगी। भारत में लोगों की व्यक्तिगत संपत्ति जमीन जायदाद और अन्य अचल संपत्तियों के रूप में है। पारिवारिक संपत्तियों में ऐसी संपत्ति का हिस्सा 91 प्रतिशत है। वहीं वैश्विक स्तर पर अमेरिका लगातार 10वें साल दौलतमंदों की सूची में शीर्ष पर है। समीक्षाधीन अवधि के दौरान अमेरिका ने वैश्विक समृद्धि में 63 खरब डॉलर का योगदान किया है। इससे वैश्विक पूंजी 980 खरब पहुंच गई है। इस दौरान चीन की पूंजी 23 खरब डॉलर बढ़ी है।