Friday, December 27, 2024
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मुस्कान अश्कों की- अनिता सैनी

दर्द-ए-जिंदगी की सौगात, मिला दर्द का मुक़ाम,
ग़मों की आड़ में खिली, अश्कों की मुस्कान

मुहब्बत के लिबास में, दर्द-ए-ग़म से हुई पहचान,
ग़मों का सितम क्या सितम, अश्कों में खिले मुस्कान

कुछ ज़ख्म वक़्त का, वक़्त का रहा गुमान,
वक़्त की पैरवी में, खिली अश्कों की मुस्कान

ख़ामोश जिंदगी, हाथ में दर्द का जाम,
सिसक रही सांसे, सीने में अश्कों की मुस्कान

खता और खतावार कौन, वक़्त को खंगालता मन?
सीने में दफ़्न दास्ताँ, नम आँखों की मुस्कान

-अनीता सैनी

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