समय के साथ बह गई जिंदगी
ख़ामोश निगाहें ताकती रह गई
किये न उन के क़दमों में सज़दे
हर बार इंतज़ार में रह गई
सज़दे न करेगें उन की यादों के
लफ़्जों से यही दुआ करते मिले
टूटे दिल की दरारों में झाँकता
उनकी यादों का करवां मिला
गुनाहों की सजा हर बार मिले
हर गुनाह की सजा सौ बार मिले
बिछाये राहों में फूल
काँटों की सौग़ात मिले
इस तल्ख़ ज़माने की ठोकर मिली
हर ठोकर पर मायूसी खिली
सजाते रहे काँटों का ताज
इल्म ये रहा
मुस्कुराते रहे लफ़्ज
दिल तड़पते मिले
-अनीता सैनी