शारदेय नवरात्रि का आज दूसरा दिन है। नवरात्रि के दूसरे दिन माँ दुर्गा के दूसरे मुख्य रूप माँ ब्रह्मचारिणी की आराधना की जाती है। माँ ब्रह्मचारिणी को तप और विद्या की देवी माना जाता है, इसलिए नवरात्रि का दूसरा दिन छात्रों के लिए अत्यंत विशेष होता है। माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि-विधान के साथ करने से माँ की कृपा प्राप्त होती है। पूर्ण श्रद्धा भाव से की गई भक्ति से साधक के सर्व प्रकार से दु:ख-दारिद्र का विनाश होता है तथा सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप पूर्ण ज्योर्तिमय है। माँ दुर्गा की नौ शक्तियों में से द्वितीय शक्ति ब्रह्मचारिणी है। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली अर्थात तप का आचरण करने वाली माँ ब्रह्मचारिणी। माँ ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में अक्ष माला है और बायें हाथ में कमण्डल होता है। देवी ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्म का स्वरूप हैं अर्थात तपस्या का मूर्तिमान रूप हैं। इस देवी के कई अन्य नाम हैं जैसे तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा है। इस दिन साधक का मन स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित होता है। इस चक्र में अवस्थित साधक माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा और भक्ति को प्राप्त करता है।