भारत के स्वदेशी हल्के परिवहन विमान सरस ने आज दूसरी बार परीक्षण उड़ान सफलतापूर्वक पूरी की। विमान की कमान भारतीय वायु सेना की एयरक्राफ्ट और सिस्टम टेस्टिंग स्टैब्लीशमेंट के विंग कमांडर यू.पी. सिंह, ग्रुप कैप्टन आर.वी. पाणिकर और ग्रुप कैप्टन के.पी. भट्ट के पास थी और इसने बेंगलुरु के एचएएल हवाई अड्डे से उड़ान भरी।
सरस पीटी1एन के उत्पादन संस्करण का इस्तेमाल रोकने से पहले निर्धारित 20 परीक्षण उड़ानों में से यह दूसरी उड़ान थी। पहली सफल उड़ान का परीक्षण इस वर्ष 24 जनवरी को किया गया था। विमान का डिजाइन और विकास सीएसआईआर-नेशनल एयरो स्पेस लैबोलेट्रीज (एनएएल) द्वारा किया गया है। एनएएल के अनुसार उत्पादन मॉडल डिजाइन के इस वर्ष जून-जुलाई तक तैयार होने की उम्मीद है।
सीएसआईआर-एनएएल के वैज्ञानिकों और भारतीय वायु सेना के कमांडरों को बधाई देते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि एक ऐसे विमान को उड़ाने का साहस दिखाने के लिए फ्लाइट कमांडर विशेष प्रोत्साहन के हकदार हैं, जिसे इससे पहले खारिज कर दिया गया था। डॉ. हर्ष वर्धन ने एएसटीई के कमांडेंट और परीक्षण चालक दल के सदस्यों को प्रशस्ति पुरस्कार देने की घोषणा की।
वर्ष 2009 में परीक्षण उड़ान के दौरान एक दुर्घटना के बाद पिछली सरकार ने इस परियोजना को छोड़ दिया था। हालांकि नागर विमानन महानिदेशालय डीजीसीए ने विमान के डिजाइन में किसी तरह की कमी अथवा उत्पादन में खराब गुणवत्ता से इंकार किया था लेकिन परियोजना को पुनर्जीवित करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि इस स्वदेशी परियोजना को पुनर्जीवित करने का श्रेय श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार को जाता है जिसने मेक इन इंडिया मिशन को महत्व दिया है। यह एएसटीई, डीजीएक्यूए, सीईएमआईएलएसी और एचएएल का चरमबिन्दु है।
वर्तमान सरकार द्वारा परियोजना को पुनर्जीवित करने के बाद एनएएल ने डिजाइन में कुछ परिवर्तन किए और सरस पीटी 1 मॉडल में सुधार, जैसे 2X1200 एसएचपी इंजन और 104 इंच के घेरे वाला प्रोपेलर असेम्बल को शामिल किया, ताकि दूसरे खंड की उतार-चढ़ाव जरूरतों, आधुनिक उड़ान नियंत्रण प्रणाली, रडर क्षेत्र, प्रमुख पहिए और ब्रेक, 7100 किलोग्राम एयूवी स्वदेश में विकसित स्टॉल चेतावनी प्रणाली आदि संबंधी उड़ान जरूरतों को पूरा किया जा सकें।