इच्छा मृत्यु के बहुचर्चित मामले में उच्चतम न्यायालय ने आज एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मरणासन्न व्यक्ति द्वारा इच्छामृत्यु के लिए लिखी गई वसीयत (लिविंग विल) को मान्यता दे दी है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हर व्यक्ति को गरिमा के साथ मरने का अधिकार है और किसी भी इंसान को इससे वंचित नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने इच्छामृत्यु के लिए एक गाइडलाइन जारी की है, जो कि कानून बनने तक प्रभावी रहेगी।
उच्चतम न्यायालय उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें मरणासन्न व्यक्ति द्वारा इच्छामृत्यु के लिए लिखी गई वसीयत (लिविंग विल) को मान्यता देने की मांग की गई थी। उच्चतम न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने कहा कि कुछ खास दिशा-निर्देशों के साथ इच्छा मृत्यु की अनुमति दी जा सकती है। इस दौरान सुरक्षा उपायों को लेकर गाइडलाइन भी जारी की गई। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने पिछले साल 11 अक्तूबर को इस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था।