कहा जाता है कि किसी मजबूर पर हो रहे अत्याचार को देखकर मौन रहने वाला भी उतना ही दोषी होता है, जितना दोषी अत्याचारी होता है। यही बात बिजली कंपनी प्रबंधन पर भी लागू होती है, जो बिजली अधिकारियों द्वारा लाइनकर्मियों को मौत के मुंह में धकेलते हुए देखते हुए भी मौन है। आज तक ये बात भी समझ में नहीं आई कि कंपनी प्रबंधन अधिकारियों से इतना डरता क्यों है?
देखा जाए तो कंपनी के टेक्नोक्रेट्स, प्रशासनिक सेवा से आए ब्यूरोक्रेट्स पर हावी नजर आ रहे हैं। लाइनकर्मियों के मामले में तो यही समझ में आ रहा है, क्योंकि लाइनकर्मियों के साथ एक बाद एक जानलेवा हादसे हो रहे हैं और टेक्नोक्रेट्स की जिम्मेदारी आज तक तय नहीं की जा सकी है। हर बार छोटे कर्मचारियों को गलत साबित कर अधिकारियों को बचाया गया है और उस पर प्रबंधन का मौन उसे असंवेदनशील और अमानवीय प्रमाणित कर रहा है, इसके लिए कर्मचारी भले ही प्रबंधन को माफ कर दें, लेकिन इतिहास कभी माफ नहीं करेगा।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि 7 मई 2024 को मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के सागर रीजन के अंतर्गत रहली के कार्यपालन अभियंता कार्यालय के अंतर्गत गोर जावरकर डीसी में कार्यरत ऑपरेटर एवं विद्युत कर्मी राकेश बारिया को कनिष्ठ अभियंता ने 33*11 केवी सब स्टेशन के अंदर लगी सीटी क्लैंप का जंपर जलने पर, उसके सुधार कार्य के लिए निर्देशित किया था।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि प्रारंभिक जानकारी के अनुसार परमिट लेने के बाद 11 हजार केवी सब-स्टेशन की विद्युत सप्लाई बंद होने के डीपी के 12 फीट ऊपर चढ़कर विद्युत कर्मी राकेश बारिया सीटी क्लैंप का जंपर लगा रहा था, इसी समय अचानक लाइन चालू होने से उसके पूरे शरीर में आग लग गई।
घटना के समय मौजूद सहयोगियों के द्वारा तत्काल डीपी में चढ़कर कंबल डालकर आग बुझाई गई और उसके बाद सागर के सरकारी अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। हालांकि विद्युत कर्मी के परिजनों के द्वारा बेहतर उपचार की आस में सागर के हॉस्पिटल से इंदौर रेफर कर प्राइवेट हॉस्पिटल के आईसीयू वार्ड में भर्ती किया गया है। लगभग 70 प्रतिशत से ज्यादा जल चुके विद्युत कर्मी राकेश बारिया की स्थिति अत्यधिक गंभीर बनी हुई है।
संघ के अजय कश्यप, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अरुण मालवीय, इंद्रपाल सिंह, लाखन सिंह राजपूत, दशरथ शर्मा, मदन पटेल, संदीप दीपांकर, पीएम मिश्रा, शशि उपाध्याय, महेश पटेल, राजेश यादव, विपतलाल विश्वकर्मा आदि ने पूर्व क्षेत्र कंपनी प्रबंधन से मांग की है कि हादसे की निष्पक्ष जांच कर दोषी के ऊपर कार्यवाही की जाए, क्योंकि जब विद्युत से संबंधित किसी भी प्रकार का ऑपरेशन किया जाता है तो पूरी जिम्मेदारी अधिकारी की होती है। जब सीटी क्लैंप का जंपर लगाते समय विद्युत सप्लाई बंद की गई थी तो सप्लाई कैसे चालू हो गई, इसकी जांच होनी चाहिए। साथ ही विद्युत कर्मी के इलाज के लिए तत्काल सहायता राशि दी जाए।