नई दिल्ली (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जीएसटी के सभी मामलों में गिरफ्तारी की जरूरत नहीं है। जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले पर फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा कि गिरफ्तारी तभी होनी चाहिए जब पुख्ता साक्ष्य हों।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि व्यापारियों को जीएसटी का स्वैच्छिक भुगतान करने के लिए कहना चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि किसी व्यक्ति को छापे के दौरान टैक्स भरने के लिए बाध्य किया जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि आप अपने विभाग से कहिए कि वो व्यापारियों से स्वैच्छिक भुगतान के लिए जोर दें न कि बल प्रयोग के जरिये। टैक्स का भुगतान नहीं करने वालों को तीन-चार दिनों का समय दिया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि 03 मई को कोर्ट ने केंद्र सरकार से जीएसटी के प्रावधानों के तहत जारी किए गए नोटिस और गिरफ्तारियों का ब्यौरा मांगा था। कोर्ट ने कहा था कि वो कानून की व्याख्या कर सकता है और स्वतंत्रता से वंचित करने वाले किसी भी उत्पीड़न से नागरिकों के बचाव के लिए उचित दिशा-निर्देश दे सकता है।
कोर्ट ने जीएसटी कानून की धारा-69 के स्पष्ट नहीं होने पर चिंता जताई थी। जीएसटी कानून की धारा 69 गिरफ्तारी की शक्तियों से संबंधित है। सुप्रीम कोर्ट जीएसटी कानून, सीमा शुल्क कानून और मनी लॉन्ड्रिंग कानून के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने वाली करीब 281 याचिकाओं की एक साथ सुनवाई कर रहा है। कोर्ट ने कहा था कि अगर जरूरत हुई तो वह स्वतंत्रता को मजबूत बनाने के लिए कानून की व्याख्या करेगी, लेकिन आम नागरिकों को परेशान नहीं होने देगी।