मध्य प्रदेश में भारतीय रेलवे के एक अधिकारी ने एक कर्मचारी के साथ मिलकर रेलवे का 42 टन कबाड़ बिना टेंडर बुलाई ही बेच दिया और संस्था को लाखों रुपए की हानि पहुंचाई।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारतीय रेलवे के मध्य रेलवे जोन के अंतर्गत भुसावल मंडल के बुरहानपुर में कार्यरत सीनियर सेक्शन इंजीनियर हरेंद्र कुमार और ट्रैकमैन भरत कुमार ने बिना टेंडर बुलाई ही 42 टन रेल पटरी का लोहा बेच दिया। मामले की जांच के लिए मध्य रेलवे मुंबई के आरपीएफ आईजी अजय सदानी खुद बुरहानपुर पहुंचे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 7 अक्टूबर को सीनियर सेक्शन इंजीनियर हरेंद्र कुमार और ट्रैकमैन भरत कुमार ने करीब 42 टन लोहे से बनी रेलवे की पटरी को बिना टेंडर के महाराष्ट्र के नागपुर की एक फर्म एआर ट्रेडर्स को बेच दिया। लोहा पकड़ा गया तब आरपीएफ क्राईम ब्रांच भुसावल हरकत में आई। उन्होंने बुरहानपुर आरपीएफ की मदद से दोनों आरोपी रेलवे कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया है।
दोनों आरोपियों सीनियर सेक्शन इंजीनियर हरेंद्र कुमार और ट्रैकमेन भरत कुमार को गिरफ्तार कर खंडवा रेलवे कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने दोनों आरोपियों को आरपीएफ के निवेदन पर पूछताछ के लिए 17 अक्टूबर तक रिमांड में भेज दिया। इसके साथ ही आरपीएफ ने रेलवे का लोहा बेचने वाले आरोपियों के साथ इस खरीदने वाली फर्म के संचालकों को गिरफ्तार किया है और इनके कब्जे से 42 टन लोहा भी बरामद किया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार करीब 42 टन लोहा वाघोड़ा रावेर के रेल लाइन के पास रखा था, जो स्क्रेप की श्रेणी का था। इसकी कीमत करीब 25 लाख रुपए से अधिक बताई जा रही है। 7 अक्टूबर को सीनियर सेक्शन इंजीनियर और ट्रैकमैन ने इसे ट्रकों के माध्यम से लोड कराकर नागपुर की एक फर्म एआर ट्रेडर्स को बेच दिया। 10 अक्टूबर को इसकी सूचना भुसावल रेलवे क्राइम ब्रांच को लगी। इस पर क्राइम ब्रांच इंस्पेक्टर एलके सागर के नेतृत्व में जांच शुरू की गई। 11 अक्टूबर को वेरीफाई हुआ कि रेलवे का लोहा गलत तरीके से बेचा गया है। नियमानुसार इसके लिए टेंडर प्रक्रिया अपनाई जाती है।