केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने ‘श्योर विजन’ विज्ञापन को बंद करने का निर्देश दिया है और झूठे और गुमराह करने वाले दावे पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने ‘श्योर विजन’ के विज्ञापन में उसकी गुणकारिता से जुड़े दावों के लिए उत्पाद के भ्रामक विज्ञापनों के संबंध में श्योर विजन इंडिया के खिलाफ हाल में एक आदेश पारित किया। प्राधिकरण में मुख्य आयुक्त और आयुक्त शामिल हैं।
विज्ञापन में दावा किया गया है कि ‘श्योर विजन’ स्वाभाविक रूप से आंखों की रोशनी में सुधार करता है, आंखों की थकान दूर करता है, सिलिअरी मांसपेशी का व्यायाम कराता है; यह दुनिया की सबसे अच्छी यूनिसेक्स सुधार सामग्री है”। कंपनी अपने उत्पाद के विज्ञापन में उसकी गुणकारिता से संबंधित अपने दावों को सही साबित करने में विफल रही।
प्राधिकरण को ‘श्योर विजन’ उत्पाद के लिए कथित भ्रामक विज्ञापन के संबंध में श्योर विजन इंडिया के खिलाफ एक शिकायत प्राप्त हुई थी। इसके बाद, सीसीपीए ने शिकायत पर आवश्यक कार्रवाई शुरू की। 25 फरवरी 2022 को, सीसीपीए ने विज्ञापन में कंपनी द्वारा किए गए दावों की जांच के लिए महानिदेशक (जांच) को निर्देश देते हुए आदेश पारित किया।,
डीजी (जांच) द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी के दावों को फालतू पाया गया और इसे खारिज किया जा सकता है क्योंकि विज्ञापित उत्पाद पर किसी भी कंपनी या किसी अन्य संगठन ने किसी शोध का कोई संदर्भ नहीं दिया। इसके अलावा, उत्पाद ‘श्योर विजन’ में कंपनी द्वारा उपयोग की जाने वाली पिनहोल टेक्नोलॉजी मुख्यत रूप से “नैदानिक” कार्य है न कि “चिकित्सीय” कार्य जैसा कि विज्ञापन में दावा किया गया है। इसलिए, डीजी (जांच) की राय है कि कंपनी के दावे भ्रामक और निरर्थक हैं।
यह भी उल्लेख किया जा सकता है कि, सीसीपीए के समक्ष सुनवाई के दौरान भी, कंपनी ने स्वीकार किया था कि, विज्ञापन में “यह स्वाभाविक रूप से आंखों की रोशनी में सुधार करता है, आंखों की थकान दूर करता है, सिलिअरी मांसपेशी का व्यायाम कराता है; यह दुनिया की सबसे अच्छी यूनिसेक्स सुधार सामग्री है” जैसे दावे उत्पाद की गुणकारिता के संबंध में किसी भी वैज्ञानिक अथवा प्रयोगशाला परीक्षण रिपोर्ट की पुष्टि के बिना किए गए थे। इसके अलावा उनके द्वारा अपने दावे को प्रमाणित करने के लिए कोई विशिष्ट मार्केटिंग अध्ययन/सर्वेक्षण नहीं किया गया था।
इसे ध्यान में रखते हुए सीसीपीए ने देखा कि उत्पाद ‘श्योर विजन’ का विज्ञापन बिना किसी विश्वसनीय वैज्ञानिक अध्ययन के प्रकाशित किया गया था और कंपनी द्वारा विज्ञापन में किए गए अपने दावों को प्रमाणित करने के लिए कोई मार्केटिंग अनुसंधान नहीं किया गया था, जिससे उपभोक्ताओं को दृष्टि संबंधी परेशानी के संबंध में कंपनी की संवेदनशीलता की जानकारी मिलती हो। इसके अलावा, उत्पाद का नाम “श्योर विजन” उपभोक्ता के मन में एक झूठी और नकली धारणा और स्पष्ट दृष्टि की गारंटी की कल्पना पैदा करने में सक्षम है। इसलिए, विज्ञापन को झूठा और भ्रामक पाया गया।
इसलिए सीसीपीए ने श्योर विजन इंडिया को अपने उत्पाद ‘श्योर विजन’ के विज्ञापनों को बंद करने का निर्देश दिया है, जो दावा करते हैं कि ‘यह स्वाभाविक रूप से आंखों की दृष्टि में सुधार करता है, आंखों की थकान दूर करता है, सिलिअरी मांसपेशी का व्यायाम कराता है; यह दुनिया की सबसे अच्छी यूनिसेक्स सुधार सामग्री है।’ और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 21(1) और (2) के प्रावधानों के तहत कंपनी पर 10,00,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया जाता है।
इससे पहले सीसीपीए ने अपने भ्रामक विज्ञापन के लिए सेंसोडाइन टूथपेस्ट के नापतोल और जीएसके प्रत्येक पर ₹10,00,000 का जुर्माना भी लगाया। उन्हें विज्ञापन बंद करने का भी निर्देश दिया गया है। कोविड-19 महामारी के आसपास उपभोक्ता संवेदनशीलता के मद्देनजर, सीसीपीए ने भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की, जिसमें 13 कंपनियों ने अपने विज्ञापन वापस ले लिए और 3 कंपनियों ने सुधार के लिए विज्ञापन दिए।
इसके अलावा भ्रामक विज्ञापनों और अनुचित व्यापार कार्य प्रणालियों के खिलाफ उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए, सीसीपीए ने दो सलाह भी जारी की। पहली सलाह 20 जनवरी 2021 को जारी की गई थी जिसमें उद्योग के हितधारकों को भ्रामक दावे करने से रोकने के लिए कहा गया था जो कोविड-19 महामारी की स्थिति का लाभ उठाते हैं और किसी भी सक्षम और विश्वसनीय वैज्ञानिक साक्ष्य द्वारा समर्थित नहीं हैं।
दूसरी सलाह 1 अक्टूबर 2021 को जारी की गई थी जिसमें उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियमों, 2020 के प्रावधानों के अनुपालन पर प्रकाश डाला गया था, जिसमें प्रत्येक मार्केटप्लेस ई-कॉमर्स इकाई को नियम 6(5) के तहत विक्रेता के शिकायत अधिकारी का नाम, पदनाम और संपर्क सहित विक्रेता द्वारा प्रदान की गई सभी सूचनाओं को प्रमुखता से प्रदर्शित करने की आवश्यकता है।
केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की स्थापना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 10 के तहत उपभोक्ताओं के अधिकारों के उल्लंघन, अनुचित व्यापार कार्य प्रणालियों और झूठे या भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामलों को विनियमित करने के लिए की गई है जो जनता के हितों के लिए हानिकारक हैं और एक व्यवस्थाय के रूप में उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए हैं।